
लालची हेड कांस्टेबल ने करार्इ पुलिस विभाग की किरकिरी, एसपी ने कोतवाल को दे दी ये सजा
बागपत. यूपी में एक कोतवाल को इंसानियत दिखाना उस समय भारी पड़ गया जब एक हेड कांस्टेबल ने कुछ पैसों के लालच में पूरे महकमे की किरकिरी करा दी। हेड कांस्टेबल की इस शर्मनाक करतूत के कारण जहां उसे खुद अधिकारियों के कोप का भाजन बनना पड़ा। वहीं उसके कारण ही मानवता का परिचय देने वाले कोतवाल को भी खामियाजा भुगतना पड़ा। बता दें कि कोतवाल की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने एक लावारिश शव के अंतिम संस्कार के लिए करने के लिए अपनी जेब से पैसे कांस्टेबल को दिए थे, लेकिन कांस्टेबल ने पैसे जेब में रख शव का अंतिम संस्कार रबड़ आैर टायर जलाकर कर दिया। ले बैठा और उसको को पुलिस अधीक्षक ने लाईन हाजिर कर दिया।
दरअसल, यह मामला बागपत शहर कोतवाली का है। जहां सिसाना के जंगल में नलकूप की हौज में एक अज्ञात शव पड़ा मिला था। काफी प्रयास के बाद भी पुलिस उसकी शिनाख्त नहीं करा पाई थी तो 72 घंटे बीत जाने के बाद बुधवार को कोतवाल आरके सिंह ने शव का अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया और हेड कांस्टेबल जयवीर सिंह को अंतिम संस्कार करने के लिए अपनी जेब से साढ़े चार हजार रुपये दे दिए। आरोप है कि हेड कांस्टेबल ने लकड़ियों के बजाय शव काे टायर और रबड़ पर रख जलाकर इति श्री कर ली। इसकी सूचना मिलते ही पत्रिका ने प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की। वहीं जब मामला एसपी बागपत शैलेश कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने हेड कांस्टेबल जयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया। क्योंकि मामला संगीन था, इसलिए कोतवाली बागपत प्रभारी भी इसकी आंच से नहीं बच पाए और शुक्रवार को पुलिस कप्तान द्वारा उनको भी लाइनहाजिर कर दिया गया।
पुलिस प्रशासन के इस फैसले से समाजसेवी आहत हैं। काेतवाल पर कार्रवार्इ को गलत ठहराते हुए उन्होंने कहा है कि इस मामले में कोतवाल आरके सिंह की दरियादिली की तारीफ होनी चाहिए थी। किसान यूनियन के अध्यक्ष प्रताप गुर्जर का कहना है कि कोतवाल ने तो इंसानियत का परिचय देते हुए अच्छा काम किया, लेकिन एक कांस्टेबल की इंसानियत खत्म हो गर्इ। जिसकी गलती का खामियाजा एक अच्छे इंसान को भी भुगतना पड़ा है। वहीं एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोतवाल ने अपनी जेब से अंतिम संस्कार के लिए पैसे दिए थे। पुलिस विभाग में लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए पैसा नहीं आता है। जबकि इसका बजट पहले ही मिल जाना चाहिए, ताकि समय से किसी भी अज्ञात शव का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जा सके।
Published on:
12 Jan 2019 09:51 am
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