
बरामद नोट गिनता पुलिसकर्मी। फोटो पत्रिका
Banswara Crime : उदयपुर के केवड़ा पुलिस चौकी क्षेत्र में 10 दिन पहले बांसवाड़ा आ रही रोडवेज बस से 46 लाख रुपए की बरामदगी के मामले में नया मोड़ आ गया है। बस में दो थैलियों में 46-46 लाख रुपए थे। पुलिस ने एक थैली जब्त कर ली, जबकि दूसरी छिपी रह गई थैली रोडवेजकर्मी अपने घर ले गया और करीब 7 दिन तक किसी को नहीं बताया।
बांसवाड़ा के एक गोल्ड कारोबारी लोकेश जैन ने दो कर्मचारी कूपड़ा (बांसवाड़ा) निवासी अनिल (25 वर्ष) पुत्र लक्ष्मण और नरेश (19 वर्ष) पुत्र कालू को 24 नवम्बर को उदयपुर में एक व्यापारी को सोना बेचने के लिए भेजा। सोना बेचकर 46-46 लाख, कुल 92 लाख रुपए की दो थैलियां दो बैग में रखकर उदियापोल बस स्टैंड से 11.40 पर रोडवेज में बैठ रवाना हुए। लोकेश जैन ने करीब 12.30 बजे दोनों कार्मिकों को एक-एक कर कॉल किया तो फोन स्विच ऑफ थे।
पता करने पर जैन को जानकारी मिली कि सलूम्बर जिले की जावरमाइंस थाना पुलिस ने रोडवेज बस की तलाशी में राशि पकड़ ली व अनिल तथा नरेश को गिरफ्तार कर लिया। 46 लाख बरामद होने की आधिकारिक व्यापारी को मिली तो उनके हाथ-पैर फूल गए कि बाकी 46 लाख रुपए कहां गायब हो गए?
व्यापारी ने अगले ही दिन 25 नवम्बर को जयसमंद कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई, जहां से दोनों की जमानत मंजूर हो गई। व्यापारी ने पूछा तो उनके दोनों कर्मचारियों ने पुलिस के पास एक ही बैग होने की बात बताई। दूसरा बैग सीटों के ऊपर की ओर लगेज रखने की लोहे की जाली में रखा था। दोनों ने उतरने से पहले कंडक्टर को उस बैग का ध्यान रखने को कहा था।
व्यापारी लोकेश जैन 26 नवम्बर को उदयपुर पहुंचे और सोने के खरीदार व्यापारी को लेकर पुलिस महानिरीक्षक गौरव श्रीवास्तव के समक्ष पेश हुए। उन्होंने सभी बिल-वाउचर और लिखित में एक शिकायत देकर पूरी राशि दिलाने की मांग की। आइजी ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया। जैन ने पत्रिका को बताया कि उसके बाद अब तक क्या कार्रवाई हुई, उसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पुलिस ने भी उनसे कोई संपर्क नहीं किया।
आइजी के विशेष निर्देश पर बांसवाड़ा डीएसपी गोपीचंद मीणा और शहर कोतवाल रूप सिंह जांच कर रहे हैं। डीएसपी गोपीचंद ने बताया- ‘हमने सलूंबर से कुछ डिटेल ली और जांच-पड़ताल शुरू की। संबंधित कंडक्टर को तलाश कर पूछताछ की। उसने बताया था कि रुपयों भरा बैग उसके घर पर है। टीम भेज कर बैग को बरामद कर लिया।’
जांच टीम को कंडक्टर ने बैग में से 21000 रुपए कम होने की बात कही थी। गिनती की तो रुपए पूरे थे। पुलिस ने यह पैसा मालखाने में रखवा दिया। पूछताछ में कंडक्टर ने बताया- ‘मुझे यह पता ही नहीं था कि यह रुपए मुझे देने किसको है, इसलिए इनको मैं घर लेकर चला गया था।’
1- रोडवेज कंडक्टर ने इतनी बड़ी राशि मिलने पर अपने उच्चाधिकारियों को सूचना क्यों नहीं दी?
2- 46 लाख रुपए भरा बैग 7 दिन तक उसने अपने घर पर क्यों रखा?
3- अगर राशि वैध थी, तो गिरफ्तार दोनों कार्मिकों ने 46 लाख का एक और बैग होने की जानकारी पुलिस से क्यों छिपाई?
4- पुलिस ने किस रोडवेज कर्मचारी के घर से राशि कब बरामद की?
5- रोडवेज आगार प्रबंधक को रोडवेजकर्मी ने जानकारी क्यों नहीं दी?
6- इतने बड़े मामले में अभी तक एफआइआर दर्ज क्यों नहीं हुई?
7- कार्रवाई सलूम्बर-उदयपुर पुलिस की तीन टीमों ने की, 46 लाख रुपए का एक बैग इन टीमों के नजर से कैसे बचा रह गया?
8- जिस बस में कार्रवाई हुई, उसी में जांच टीम से अलग एक पुलिस अधिकारी का मौजूद होना क्या महज संयोग है?
24 नवम्बर को बस में से 46 लाख रुपए बरामद।
25 नवम्बर को अदालत से दोनों कार्मिकों की जमानत मंजूरी।
26 नवम्बर को दोनों व्यापारी आइजी के समक्ष पेश।
30 नवम्बर को रोडवेजकर्मी के घर से 46 लाख और बरामद।
पुलिस अधिकारी जय सिंह राव उसी बस में सवार थे, इसलिए यह अफवाह फैली कि रुपए उनके पास हैं, जबकि हमने यह राशि कंडक्टर की निशानदेही पर उसके घर से बरामद की है।
गोपीचंद मीणा, जांच अधिकारी व पुलिस उप अधीक्षक, बांसवाड़ा
यह एक पेचीदा मामला है। जांच की जा रही है। जब तक फाइनल जांच रिपोर्ट नहीं आएगी, कुछ भी नहीं बता पाएंगे।
गौरव श्रीवास्तव, पुलिस महानिरीक्षक, उदयपुर रेंज
हमारे कर्मचारी से लाखों रुपए की जप्ती की सूचना हमें नहीं है। न पुलिस ने, न कर्मचारी ने कुछ बताया है।
मनीष जोशी, महाप्रबंधक, रोडवेज आगार, बांसवाड़ा
Published on:
04 Dec 2025 02:56 pm
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