महज 10 रुपए में पुदीना, अदरक, मैंगो, लहसुन सहित कई फ्लेवर का आनंद लेने वाले शौकीनों को सावधान रहने की जरूरत है। गोलगप्पे वाले इसके पानी को केमिकल से बना रहे हैं। पड़ताल में पता चला कि 65 रुपए में मिलने वाली 100 एमएल की एक शीशी कई लीटर पानी को स्वाद देती है। विक्रेता ने बताया कि कई तरह के एसेंस बाजार में उपलब्ध हैं। बांसवाड़ा में 20-25 ही उपलब्ध हैं। यहां लहसुन, अदरक और पुदीने का एसेंस खूब बिकता है। कुछ लोग हींग का एसेंस भी ले जाते हैं। अधिक फ्लेवर का एसेंस अहमदाबाद में मिलता है।
नाम न बताने की शर्त पर एक गोलगप्पा विक्रेता ने बताया कि बताशों के पानी को बनाने में इमली, आम या अन्य वास्तविक पदार्थ का उपयोग नहीं करते। पानी और उसमें खटास लाने के लिए साइट्रिक एसिड का उपयोग करते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। विक्रेता इससे बनाए पानी को मिट््रटे के घड़े में ही रखते हैं। स्टील की टंकी में रखने से एसिड होने से उसमें छेद हो जाते हैं। इसके अलावा काले निशान बनने से टंकी खराब हो जाती है।
गोलगप्पा विक्रेता हाइजीन का ख्याल भी नहीं रखते। चाहे हैंडपंप का हो या बोरिया का या नलों का, जो पानी मिला, उससी से बताशों का पानी बनाते हैं। शनिवार को पड़ताल में एक विक्रेता खुले ड्रम से पानी निकालता दिखा। पूछने पर बताया कि क्या फर्क पड़ता है। इसमें क्या खराबी है यह कहते हुए पानी को मटके में उड़ेल दिया। विक्रेता बिना हाथ धोए और बिना किसी दस्ताने के ही लोगों को बताशे पानी में डुबो कर खिलाते हैं।
आमजन की सेहत का ख्याल रखते हुए गुजरात सरकार ने वडोदरा में गोलगप्पों पर पाबंदी लगा दी है और पूरे राज्य में पाबंदी लागने पर विचार कर रही है। बांसवाड़ा में स्थिति उलट हैं। यहां स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस के लिए सख्ती नहीं बरती है और जांच की जहमत भी नहीं उठा रहे हैं।