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Makar Sankranti : AI के जमाने में चोपड़े से निकलेंगी भविष्यवाणियां, सौ फीसद सही होने का दावा

Makar Sankranti : बांसवाड़ा के भूंगड़ा में मकर संक्रांति पर 135 साल पुरानी परंपरा के तहत चोपड़ा वाचन होगा। ज्योतिषीय गणित से तैयार चोपड़ा बताएगा वर्ष 2025 कैसा रहेगा? एआइ के जमाने में भी चोपड़े से निकलेगी सौ फीसद सही भविष्यवाणियां, ऐसा दावा है।।

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Makar Sankranti Banswara Bhungra Chopda Predictions In Age of AI Claims to be 100 Percent Correct

Makar Sankranti : देश-दुनिया में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीक पर निर्भरता दिनोंदिन बढ़ रही है, वहीं दक्षिण राजस्थान में आज भी ज्योतिषीय गणित से तैयार नए वर्ष की भविष्यवाणियों पर हजारों लोगों का भरोसा है। करीब 135 साल से यहां भूंगड़ा गांव में मकर संक्रांति पर अनवरत चल रहे चोपड़ा वाचन की परम्परा के अनुसार ही लोग होनी-अनहोनी मानकर सालभर के क्रियाकलाप तय करते रहे हैं। खास बात यह कि हर वर्ष देवउठनी एकादशी से विभिन्न पंचांगों का अध्ययन कर ज्योतिष आधारित गणना से नया चोपड़ा दो-ढाई माह में तैयार किया जाता है और संक्रांति पर वाचन के बाद इसे माही माता के पवित्र जल को समर्पित कर दिया जाता है।

चोपड़ा की भविष्यवाणियां शत प्रतिशत सही

अपने परदादा द्वारा शुरू की इस परंपरा को चौथी पीढ़ी में आगे बढ़ा रहे पं. दक्षेश पंड्या का दावा है कि ज्योतिष शास्त्र पर आधारित चोपड़ा की भविष्यवाणियां शत प्रतिशत सही साबित होती रही है। ज्योतिषीय गणित को सदियों से दुनिया मानती है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल और ज्योतिष को अब तो वैज्ञानिक भी स्वीकार कर चुके हैं। आस्था और विश्वास के चलते बांसवाड़ा में राजस्थान के अलावा सीमावर्ती मध्यप्रदेश और गुजरात के भी हजारों लोग यहां जुटते हैं।

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विदेश में भी डिमांड, सीधा प्रसारण भी

चोपड़ा वाचन सुनने के लिए वागड़ से विदेश में प्रवास कर रहे लोग भी उत्सुक रहते हैं। इसके चलते बीते कुछ वर्षों से कार्यक्रम का सोशल मीडिया के जरिए लाइव प्रसारण किया जाता है। दूरदराज से चोपड़ा वाचन सुनने के लिए कई परिवार भूंगड़ा में परिचितों के घर एक दिन पहले ही पहुंचते हैं।

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यह है चौपड़ा वाचन का इतिहास

वाचक कार्यकाल
पं. दौलतराम पंड्या 1890 से 1929
पं. गेफरलाल पंड्या 1930 से 1967
पं. प्रकाशचंद्र पंड्या 1968 से 2011
पं. दक्षेस पंड्या 2012 से अनवरत।

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मावजी महाराज से जुड़ा है यहां का चोपड़ा

पं. पंड्या के अनुसार हजारों वर्ष पहले बेणेश्वर धाम के भगवान मावजी की भविष्यवाणियां आज सटीक साबित हो रही हैं। भूंगड़ा में वाचन के लिए तैयार किए जाने चोपड़े के लिए मावजी महाराज की भविष्यवाणियों की वर्तमान प्रांसगिता का भी अंश रहता है। इसके लिए काफी अध्ययन करना होता है। चूंकि मावजी महाराज प्रभु के अवतार थे, उसी लिहाज से वाचन के बाद चोपड़ा माही नदी में प्रवाहित करते हैं। मान्यता है चोपड़ा बेणेश्वर धाम पहुंचकर वहीं समाहित होता है। पं. पंड्या कहते हैं कि कई बार प्राकृतिक प्रकोपों, आर्थिक बिंदुओं की भविष्यवाणियों पर लोग प्रतिक्रिया भी देते हैं।

हर साल एक ही मैदान, वही मंच, वाचक भी उसी परिवार के मुखिया

चौपड़ा वाचन की परंपरा का निर्वाह वर्षों से भूंगड़ा के उसी मैदान में होता है, जहां पहली शुरुआत हुई थी। 1890 में इसकी शुरुआत करने वाले पं. दौलतराम पंड्या के बाद उनके परिवार के मुखिया उसी मंच से प्रतिवर्ष चौपड़ा वाचन करते हैं।

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