
बिजली बिल बढ़ोतरी के विरोध में युवा कांग्रेस ने किया प्रदर्शन, रायगढ़ में नुक्कड़ सभा आयोजित...(photo-patrika)
Cheap Electricity : राजस्थान सरकार ने बिजली की प्रति यूनिट दरें घटाए जाने की घोषणा ने जहां आम उपभोक्ताओं को कुछ राहत दी, वहीं दूसरी ओर, स्थाई शुल्क में की गई भारी वृद्धि ने औद्योगिक जगत में हड़कंप मचा दिया है। उद्योगों को इससे तगड़ा ‘करंट’ लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दर कम करने का यह कदम केवल आंखों में धूल झोंकने जैसा है, जबकि स्थायी शुल्क की बढ़ोत्तरी ने बड़े उद्योगों के लिए बिजली को और महंगा कर दिया है। मध्यम वर्ग के उद्योगों के लिए यह फैसला ‘कमर तोड़ने वाला’ साबित होगा।
विद्युत विनियामक आयोग के नए टैरिफ आदेशों के तहत, हालांकि कई स्लैब में ऊर्जा प्रभार को कम किया गया है, लेकिन विभिन्न श्रेणियों के औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए स्थाई शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। बड़े औद्योगिक कनेक्शनों पर स्थाई प्रभार प्रति किलोवाट में कई गुना बढ़ा दिया गया है।
सबसे ज़्यादा मुश्किल उन मध्यम और लघु उद्योगों के सामने आ गई है, जो पहले से ही आर्थिक मंदी और प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे हैं। इन उद्योगों की उत्पादन क्षमता स्थिर होने के बावजूद बढ़े हुए स्थाई शुल्क के कारण उनका मासिक बिजली बिल भारी हो गया है। एक लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष ने बताया कि ‘हमारा लोड ज़्यादा नहीं है, लेकिन स्थायी शुल्क दोगुना हो गया है। यूनिट दर कम होने से हमें जो थोड़ी राहत मिलती, वह इस शुल्क ने छीन ली। यह हमारे लिए उत्पादन बंद करने जैसा संकट है।
उच्च बिजली खपत वाले बड़े उद्योगों के लिए यह वृद्धि सीधे तौर पर करोड़ों रुपए का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। एक उद्योगपति ने बताया कि यूनिट दर में मामूली कमी दिखा कर स्थायी शुल्क में इतनी वृद्धि करना, राजस्व जुटाने का सीधा तरीका है। इससे हमारी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और हम पड़ोसी राज्यों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में पहले ही पिछ़डे रहे थे अब और पीछे रह जाएंगे।
नए आदेश के तहत, 50 फीसदी या अधिक उपयोग पर दी जाने वाली 0.96 रुपए प्रति यूनिट की छूट को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा बिजली दर में 0.20 रुपए प्रति यूनिट की बढ़ोतरी और स्थाई शुल्क में 0.08 रुपए प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। साथ ही रेगुलेटरी सरचार्ज के नाम से 1.00 रुपए प्रति यूनिट की नई लेवी लगाई है। इस प्रकार, 132 केवी लेवल पर जुड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट, जुलाई माह के रिड्यूस्ड यूल सरचार्ज की तुलना में लगभग 1.25 रुपए का अतिरिक्त भार पड़ा है।
आयोग ने पैरेलल ऑपरेशन चार्ज के रूप में 1.19 रुपए लाख प्रति मेगावाट प्रति माह लागू किया है। यह असहनीय एवं अप्रत्याशित वृद्धि उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक को कमजोर करेगी और संचालन पर विपरीत असर डालेगी। उत्पादन लागत बढ़ने से रोजगार और निवेश दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा पर लगाया गया भारी चार्ज ग्रीन पावर डेवलपमेंट को हतोत्साहित करने वाला कदम है। सरकार को फिर से विचार करना चाहिए।
नरेश कुमार बहेड़िया, मुख्य कार्यकारी एवं व्यवसाय, आरएसडब्ल्यूएम लिमिटेड, बांसवाड़ा
Updated on:
05 Oct 2025 12:27 pm
Published on:
05 Oct 2025 12:26 pm
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