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बालोतरा लोक अदालत का ऐतिहासिक फैसला, इंश्योरेंस कंपनी को 85 लाख का क्लेम चुकाने का आदेश, जानें पूरा मामला

बालोतरा लोक अदालत ने एचडीएफसी लाइफ को उपभोक्ता हित में बड़ा आदेश दिया। अदालत ने कंपनी को ललिता देवी को 85.56 लाख बीमा राशि, 6% ब्याज और 10 हजार हर्जाना चुकाने के निर्देश दिए।

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Balotara Lok Adalat

Balotara Lok Adalat (Patrika File Photo)

बालोतरा: उपभोक्ता अधिकारों और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बालोतरा जिले की स्थायी लोक अदालत ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह प्रार्थी ललिता देवी को उनके दिवंगत पति का बीमा क्लेम 85,56,338 रुपये की राशि के साथ 6 प्रतिशत साधारण ब्याज और 10,000 रुपये हर्जाना सहित अदा करे।


लोक अदालत की यह खंडपीठ पीठासीन अधिकारी संतोष कुमार मित्तल (सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश) तथा सदस्य एडवोकेट कैलाशचंद माहेश्वरी ने सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि बीमा कंपनियों का मूल उद्देश्य उपभोक्ता को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यदि वे वैध दावों को मनमाने तरीके से खारिज करती हैं तो यह न केवल सेवा में कमी है, बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है।


मामला क्या था?


जानकारी के अनुसार, ललिता देवी के पति ने किसी वित्तीय संस्था से लोन लिया था। इस लोन की सुरक्षा के लिए उन्होंने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा पॉलिसी करवाई थी। बीमा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में कंपनी ऋण का निपटारा कर दे, ताकि परिजनों पर आर्थिक बोझ न पड़े।


दुर्भाग्यवश ललिता देवी के पति का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने नियमानुसार बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया। मगर बीमा कंपनी ने बिना ठोस आधार बताए इस दावे को अस्वीकार कर दिया। कंपनी के इस रवैये से आहत होकर ललिता देवी ने स्थायी लोक अदालत, बालोतरा की शरण ली।


अदालत का रुख


लंबी सुनवाई और दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की गहन जांच के बाद अदालत ने माना कि बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज करना पूरी तरह अनुचित है। अदालत ने कहा कि उपभोक्ता से प्रीमियम लेने के बाद समय पर क्लेम का निपटान बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी है। क्लेम अस्वीकार कर देना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है और यह सेवा में स्पष्ट कमी की श्रेणी में आता है।


उपभोक्ताओं के लिए नजीर


यह फैसला न केवल ललिता देवी के लिए न्याय साबित हुआ है, बल्कि भविष्य में बीमा कंपनियों के मनमाने रवैये पर अंकुश लगाने वाली नजीर भी बनेगा। अदालत ने दोहराया कि उपभोक्ता का विश्वास बनाए रखना बीमा कंपनियों का पहला कर्तव्य है। यदि वे इसमें विफल होती हैं तो उन्हें कानूनन जवाबदेह ठहराया जाएगा।


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