
एमजीएच अस्पताल के बर्न वार्ड से डिस्चार्ज होती 4 महीने से भर्ती लक्ष्मी (फोटो- पत्रिका)
बाड़मेर/जोधपुर: 22 साल की लक्ष्मी, एक अगस्त की शाम को घर की छत पर टहल रही थी। तभी समीप से गुजर रहे हाइटेंशन लाइन की चपेट में आ गई। पहले बाड़मेर और फिर उसे जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती करवाया गया।
बता दें कि हालत इतनी खराब थी कि वह 75 प्रतिशत तक झुलसी हुई थी और गंभीर अवस्था में थी। यहां विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीश गालवा की यूनिट में उपचार शुरू हुआ। करीब चार महीने से ज्यादा उसका एमजीएच की बर्न यूनिट में उपचार चला। कई बार स्थिति गंभीर हुई, लेकिन लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी।
अस्पताल के स्टॉफ ने भी उसका पूरा साथ दिया। वह धीरे-धीरे रिकवर हुई। शुक्रवार शाम को जब वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर जाने लगी तो उसके और उसके परिवार की आंखें भर आई। अस्पताल प्रशासन की ओर से भी उसका सम्मान किया गया, जिस वार्ड के बोर्ड पर चार महीने से उसका नाम लिखा था, वह उसने खुद ही मिटाया।
लक्ष्मी की बहन उर्मिला ने बताया कि यह समय हमारे परिवार के लिए कठिन था। लेकिन हमारी बहन सहित पूरे परिवार ने हौसला रखा। अस्पताल प्रशासन ने भी पूरा सहयोग रखा। डॉ. रजनीश गालवा के साथ डॉ. नरेन्द्र, डॉ. सुरेश और डॉ. सुचिता चौधरी ने भी उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उर्मिला ने अस्पताल की प्रशंसा ने विशेष नोट लिख कर कहा कि वार्ड प्रभारी सुल्तान राम के साथ नर्सिंग स्टॉफ ने भी कुशलता से व्यवस्थाएं संभाली। लक्ष्मी की विदाई पर उनका साफा पहना कर सम्मान किया गया।
लक्ष्मी के भाई रणवीर ने बताया कि अस्पताल की सेवाओं और यहां के स्टॉफ के डेडिकेशन से खुश होकर उनके परिवार ने बर्न यूनिट में ही एक वार्ड को रिनोवेट करवाने की इच्छा जाहिर की। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. बी.एस. जोधा और एमजीएच अस्पताल के अधीक्षक डॉ. फतह सिंह भाटी ने इसकी सहमति भी जारी कर दी।
Published on:
07 Dec 2025 10:29 am
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