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स्मृति शेष : बाड़मेर के इस काम ने पूर्व पीएम मनमोहन का मन मोहा, फिर दिया ऐसा आदेश देशभर को हुआ फायदा

Barmer News : राजस्थान के बाडमेर जिले के एक काम ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का मन मोह लिया। उसके बाद उन्होंने ऐसा आदेश दिया जिससे बाडमेर ने तो अवार्ड जीता पर पूरे देशभर को इसका जबरदस्त फायदा हुआ।

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Former PM Manmohan Singh Remembered Barmer this Work impressed Manmohan Singh then He Gave Order Whole Country Benefited

Barmer News : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 2009 की बाड़मेर यात्रा में यहां बन रहे टांके उनकी सोच में बैठ गए। उन्होंने रेगिस्तान में इसको बड़ा हल मानते हुए तत्काल ही मनरेगा योजना में शामिल किया। पहली बार मनरेगा में व्यक्तिगत कार्यों की शुरूआत बाड़मेर की यात्रा के बाद में ही की थी। इससे न केवल बाड़मेर अपितु देशभर में काफी फायदा हुआ।

यह टांके अकाल राहत में बनते थे---

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अगस्त 2009 में बाड़मेर आए। यहां सोनिया चैनल रामसर के दौरे के लिए पहुंचे तो उन्हें टांके दिखाए गए। यह टांके अकाल राहत में बनते थे। टांकों का महत्व तात्कालीन जिला कलक्टर गौरव गोयल ने बताया। बरसाती पानी को सहेजकर रखना और इससे बारिश के बाद में गर्मियों के दिनों में तीन से पांच महीने तक पेयजल उपलब्ध हो जाता है। मनमोहन को यह बात जंच गई कि बरसाती पानी को सहेजने से यहां की पानी की सबसे बड़ी पीड़ा का सरल हल है। इस पर उन्होंने मनरेगा में टांके बनाने की स्वीकृति दी।

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60 हजार टांके बनें, बाडमेर को मिला अवार्ड

जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाड़मेर को यह सौगात दी तो प्रशासन ने भी उनकी इस सोच पर काम केन्द्रित किया। बाड़मेर जिले में 60 हजार टांके बनाए गए। इन टांकों के निर्माण के लिए जिला कलक्टर गौरव गोयल को मनमोहन सिंह ने दिल्ली में अवार्ड प्रदान किया।

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जब इसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे

मनरेगा में व्यक्तिगत कार्यों की भी यह शुरूआत थी। इसके बाद योजना में खेत-ढाणी और घर में टांके और अन्य निर्माण होने लगे। मजदूरी के साथ हुए इन ठोस काम से लोगों को सीधा फायदा पहुंचा। वे बताते है कि उन्होंने कहा था कि व्यय की सार्थकता तभी है जब इसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। टांके उस अंतिम व्यक्ति की जरूरत है, जो गांव ढाणी में बैठा पानी का इंतजार कर रहा है।

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