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पाकिस्तान से बाड़मेर क्यों आए कंजी भील और चमाल? BSF की पूछताछ में बताई यह बात

पाकिस्तान से आए कंजी भील और उनका सात साल का बेटा चमाल बाड़मेर सीमा से भारत में शरण लेने पहुंचे। धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए आए दोनों को बीएसएफ ने हिरासत में लिया और सेदवा पुलिस के हवाले किया।

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Indo-Pak border

कंजी भील (फोटो- पत्रिका)

बाड़मेर: पाकिस्तान के एक हिंदू व्यक्ति और उसके सात साल के बेटे ने बाड़मेर जिले के पास भारतीय सीमा पार कर भारत में शरण ली। उसने अपनी सुरक्षा और धार्मिक उत्पीड़न से बचने की इच्छा जताते हुए यह कदम उठाया। दोनों की पहचान कंजी भील (47 ) और उसके बेटे चमाल (7) के रूप में हुई है।


जानकारी के मुताबिक, बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के जवानों ने उन्हें बुधवार को जंपलिया सीमा चौकी के पास पाकिस्तान की ओर से प्रवेश करते हुए देखा और तुरंत रोक लिया। दोनों को पकड़ने के बाद कंजी भील ने अपनी समस्या बताई और यह स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान लौटना नहीं चाहता। उसने कहा कि उसकी पत्नी और दो अन्य बच्चे अभी भी पाकिस्तान में हैं, जबकि वह और उसका बेटा भारत आकर अपने रिश्तेदार के पास रहना चाहते हैं।


और क्या बताया कंजी भील ने


कंजी भी का कहना था कि उसका उद्देश्य अपने बेटे के भविष्य और अपनी सुरक्षा के लिए भारत में स्थाई रूप से रहना है। उसने बताया कि उसका इरादा बाड़मेर जिले के सोमरार गांव में अपने चचेरे बहन के घर जाने का था।


बीएसएफ ने उसकी बात की पुष्टि के लिए गांव के सरपंच से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि कंजी की चचेरी बहन पहले इस गांव में रहती थी। लेकिन उसकी मृत्यु कई साल पहले हो चुकी है। इसके बावजूद कंजी ने भारत में रहने की अपनी इच्छा व्यक्त की।


बीएसएफ सूत्रों ने बताया, कंजी और उनके बेटे का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में हिंदुओं पर होने वाले धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न से बचना था। दोनों को जब हिरासत में लिया गया, तब उनकी जांच की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि उनके पास कोई अवैध या आपत्तिजनक वस्तु न हो।


इसके बाद बीएसएफ ने दोनों को बाड़मेर के सेदवा पुलिस थाने के हवाले कर दिया। उन्हें जोधपुर के इंटर्रोगेशन सेंटर में जांच के लिए भेजा जाएगा। जहां खुफिया एजेंसियां उनकी स्थिति का पूरी तरह से मूल्यांकन करेंगी।


प्रशासन ने क्या बताया


स्थानीय प्रशासन ने कहा, भारत में आने वाले ऐसे लोग, जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं, उनकी सुरक्षा और आवास के लिए सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। कंजी और उनके बेटे की कहानी अब उन लोगों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है, जो अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।