Bharatpur News: भरतपुर शहर के सेक्टर नंबर तीन में एक श्वान ने घर के बाहर खेल रहे बच्चे पर हमला बोल दिया। श्वान ने बच्चे पर इस कदर हमला किया कि उसके हाथ की हड्डी ही टूट गई। बच्चे का निजी अस्पताल में उपचार कराया गया है। बताते हैं कि करीब दो घंटे के अंदर उसी श्वान ने करीब पांच अन्य लोगों पर भी हमला किया।
सेक्टर तीन निवासी क्षेत्रपाल सिंह ने बताया कि मेरा डेढ़ साल का बच्चा प्रिंस मंगलवार शाम करीब 5 बजे घर के बाहर खेल रहा था। इस दौरान एक श्वान ने उस पर हमला बोल दिया। श्वान ने कई जगह से बच्चे के हाथ को नोंच लिया। श्वान ने बच्चे को इस कदर नोंचा कि बच्चे के हाथ की हड्डी टूट गई। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर परिजन बाहर दौडकऱ आए और बच्चे को बचाया।
परिजन बच्चे को लेकर पहले जिंदल हॉस्पिटल, फिर विनोद गुप्ता हॉस्पिटल और फिर देशवाल हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां उन्हें हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं मिला। बच्चे को हॉस्पिटल में रेबीज वगैराह के इंजेक्शन लगवाए गए हैं। क्षेत्रपाल सिंह ने बताया कि कॉलोनी में एक श्वान पागल हो गया है। श्वान ने मंगलवार को ही कई लोगों पर हमला कर दिया। इनमें एक युवक के अलावा एक-दो अन्य लोग भी शामिल हैं।
कॉलोनी के लोगों ने बताया कि पागल श्वान ने कई लोगों को पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि श्वान के हमले में चार युवक व दो बच्चे घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी आवारा श्वानों के हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
आवारा श्वानों और बंदरों का आतंक लोगों पर इस कदर हावी है कि उनमें दहशत व्याप्त हो गई है। शहर की पॉश कॉलोनियों में ऐसे हाल हैं कि बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हाथ में डंडा लेकर घर से निकलते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर शहरी सरकार और उसके नुमाइंदे शहर के इस सबसे बड़े मुद्दे पर कार्रवाई का झूठा दम किस तरह भरते हैं। इसी का परिणाम है कि श्वानों और बंदरों ने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एक वर्ष में लगभग सात हजार लोगों को काटकर घायल कर दिया। मतलब प्रतिदिन करीब 25 से 30 लोग जिला आरबीएम व अन्य अस्पताल में एंटी रैबीज के इंजेक्शन और अत्यधिक घायल लोग सीरम लगवाने पर मजबूर हुए। पशुपालन विभाग की 2012 की गणना के अनुसार जिले में करीब 27 हजार श्वान थे। अब बताया जा रहा है कि जिले में आवारा कुत्तों की सख्या 38 हजार से अधिक हो गई, जबकि शहर में ही 3400 से ज्यादा श्वान हैं।
जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 15 से अधिक लोग श्वानों व बंदरों के काटने पर यहां आ रहे हैं। इस हिसाब से एक माह में करीब 500 लोग घायल हुए हैं। अस्पताल में कमर से नीचे काटने पर केवल इंजेक्शन लगाया जाता है, जबकि कमर से ऊपर या शरीर में अन्य जगह अत्यधिक बार काटने पर इंजेक्शन से पहले सीरम लगाया जाता है। यह उम्र के हिसाब से लगता है। इसके बाद पहले, तीसरे व सातवें दिन एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है।
जनवरी-412
फरवरी-393
मार्च-400
अप्रेल-256
मई-307
जून-297
जुलाई-374
अगस्त-209
सितंबर-205
अक्टूबर-232
नवंबर-265
दिसंबर-185
अधिवक्ता दीपक मुदगल ने बताया कि निगम की जिमेदारी है कि वह आवारा श्वानों को पकड़े। नसबंदी के साथ ही उनका टीकाकरण भी कराए। ताकि रैबीज जैसी जानलेवा बीमारी को फैलने से रोका जा सके। आवारा श्वान काट लेता है तो वह व्यक्ति निगम के खिलाफ कोर्ट में मुआवजे का दावा कर सकता है। कोर्ट में यह दावा भादंसं की धारा 289 के तहत किया जा सकता है। इसमें छह माह की सजा भी हो सकती है।
मुखर्जी नगर सेक्टर तीन में एक श्वान पहले भी राहगीरों को निशाना बना चुका है। कुछ माह पहले श्वान के हमले का शिकार लवन्या (7) पुत्री दीपक निवासी मुखर्जी नगर सेक्टर तीन हुई। इसी दिन तीन वर्षीय ईशा पुत्री मुन्ना भी इस श्वान के हमले का शिकार हो गई।
Published on:
25 Jun 2025 11:26 am