
Jat Reservation Agitation : राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर में चल रहे जाट आंदोलन पर राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार जाट के साथ है, आंदोलन की जरूरत नहीं है। केंद स्तर पर भी जाट आरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।
जल्द ही इस पर कुछ किया जाएगा। उन्होंने जाट समाज को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी उनके साथ है और सैद्धांतिक रूप से दोनों जिलों के जाट आरक्षण पर सहमत है। बस कुछ कानूनी पेचीदगियां हैं जिन्हें जल्द खत्म किया जाएगा।
Rajasthan Jat Reservation: जाट आरक्षण का क्या है पूरा मामला
भरतपुर और धौलपुर में जाटों के लिए ओबीसी आरक्षण की मांग पहली बार 1998 में शुरू हुई। 2013 में केंद्र की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भरतपुर, धौलपुर और नौ अन्य राज्यों में जाटों को ओबीसी आरक्षण दिया। लेकिन जैसे ही 2015 में भाजपा सरकार सत्ता में आई सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण रद्द कर दिया गया।
मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची से बाहर कर दिया गया था और फिर अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य ओबीसी सूची से बाहर कर दिया गया था। तब तर्क यह था कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को इन जिलों में पूर्व शाही परिवार से ऐतिहासिक संबंध थे जो जाट समुदाय से थे।
इसके बाद, अगस्त, 2017 में, राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान, दोनों जिलों में जाटों को ओबीसी आरक्षण दिया गया। लेकिन अब तक केंद्र की तरफ से आरक्षण नहीं मिल पाया। इसी बात को लेकर भरतपुर- धौलपुर के जाट बुधवार से ही जयचोली गांव में महापड़ाव शुरू कर चुके हैं।
Reservation Agitation in Bharatpur : भरतपुर का आरक्षण आंदोलन से पुराना नाता
- वर्ष 2023: माली, सैनी, कुशवाहा और मौर्य समुदाय के लोगों ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर 21 अप्रेल 2023 को आगरा-बीकानेर नेशनल हाईवे जाम कर दिया था।
- वर्ष 2006:गुर्जर आंदोलन की मांग उठी, गुर्जर समाज को एकजुट कर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जरों के लिए ओबीसी के बाहर एसटी वर्ग में आरक्षण मांगा। आंदोलन जिलेभर में हुआ।
- वर्ष 2007: गुर्जरों ने 21 मई 2007 फिर आंदोलन का ऐलान किया। इस बार आंदोलन के लिए पीपलखेड़ा पाटोली को चुना गया। यहां से होकर गुजरने वाले राजमार्ग को जाम कर दिया। आगरा-बीकानेर हाईवे बंद रहा था।
- वर्ष 2008: 23 मार्च 2008 को भरतपुर के बयाना में पीलुकापुरा ट्रैक पर ट्रेनें रोकीं। सात आंदोलनकारियों को पुलिस फायरिंग में जान गंवानी पड़ी। इससे गुर्जर और भडक़ गए।
- वर्ष 2010: 24 दिसंबर 2010 को फिर गुर्जर आंदोलन हुआ। इस बार भी मुख्य केन्द्र भरतपुर जिले की बयाना तहसील का गांव पीलु का पुरा रहा। यहां पर आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों ने रेल रोकी और महापड़ाव किया।
- वर्ष 2015: 21 मई 2015 को वे फिर आंदोलन पर उतर आए। इस बार भी आंदोलन का मुख्य केन्द्र भरतपुर जिले की बयाना तहसील का गांव पीलु का पुरा ही रहा।
Published on:
18 Jan 2024 12:26 pm
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