
कुम्हेर। थाने के गांव भटावली में पंचायत के फरमान से अपमानित महसूस होने पर बुधवार को पीड़ित ने विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया। पीड़ित को कुम्हेर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रैफर कर दिया गया। जहां अब उसे भरतपुर के आरबीएम अस्पताल के आईसीयू वार्ड में रखा गया है। पीड़ित ने विषाक्त का सेवन करने से पहले एक सुसाइड नोट भी एसपी के नाम छोड़ा है।
जानकारी के अनुसार महावीर पुत्र प्रभु जाट का रतिराम पुत्र कुंजीलाल के साथ ही विद्युत मरम्मत का कार्य करता था। दोनों के बीच हिसाब को लेकर कई दिन से विवाह चल रहा था। विवाद का समाधान नहीं होने पर जब रत्तीराम ने गांव के लोगों की पंचायत के लिए बुलाया और फिर पंचायत में मौजूद लोग उसे बुलाने गए तो अपने ही घर में एल्ड्रिन पी लिया। ऐसे में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इधर, पुलिस का कहना है कि परिजनों ने घटना के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। इसलिए अब प्रकरण की जांच की जा रही है।
पंचायत में दी हुक्का पानी बंद करने की धमकी
महावीर सिंह पुत्र प्रभूसिंह जाट निवासी भटावली ने सुसाइड नोट में कहा है कि तीन नवंबर को रतीराम उर्फ ऊदल पुत्र कुंजी व उसके बेटों ने मेरे छोटे बेटे पुष्पेंद्र को गले में फांसी का फंदा रस्सी से डालकर जान से मारने की कोशिश की थी। इसकी एफआइआर कुम्हेर थाने में दर्ज कराई थी। 22 दिसंबर को रतीराम ने गांव के दबंगों से सांठगांठ कर महावीर पुत्र विजय के घर पर पंचायत बुलाई। पंचायत में मुझ पर बहुत दबाव बनाया गया। समाज ने सभी के सामने मेरा अपमान किया। दबंग जबरन राजीनामा कराना चाहते हैं। दबंग बीजेपी नेता लक्ष्मण सिंह पुत्र बनयसिंह, विजय सिंह पुत्र लक्ष्मण सिंह, समयपाल उर्फ कलूटी, रामवीर सिंह पुत्र कुंजी, रतीराम पुत्र कुंजी बार-बार घर आकर धमकी दे रहे हैं। साथ ही धमकी दी कि अगर तीन दिन में पंचायत बुलाकर राजीनामा नहीं किया तो किसी केस में फंसा देंगे। गांव में हुक्का पानी बंद करा देंगे। राजीनामा के एवज में 15 लाख रुपए का दंड लेंगे। इस तरह के दंड पूर्व में भी गांव कुछ लोगों पर लगा चुके हैं। 28 दिसंबर को दुबारा पंचायत हुई, इसलिए परेशान होकर आत्महत्या कर रहा हूं।
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पहले भी सामने आ चुका प्रकरण
इसी माह 13 दिसंबर को गांव नगला बिलौटी में एक खाप पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए एक परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया थ्ज्ञा। इस परिवार का कसूर यह है कि उसने अपनी विधवा बेटी का पुनर्विवाह पंच पटेलों की मर्जी के बगैर कर दिया। इतना ही नहीं पंचायत ने पीड़ित परिवार की खेती की जमीन और फसल को भी अपने कब्जे में कर लिया था। घर से निकलने का रास्ता बंद कर दिया था। पूरा परिवार तीन दिनों से भूखा प्यासा सरकार की मदद का इंतजार कर रहा था। हालांकि प्रशासन इस प्रकरण को जांच के नाम पर झूठा बताता रहा। साथ ही बचता रहा।
Published on:
29 Dec 2022 06:17 pm
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