
फाइल फोटो पत्रिका
UGC New Instructions : अब छात्र-छात्राओं को बेहतर या कोर्स मिलने पर दाखिला रद्द करने पर आर्थिक नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नए शैक्षणिक सत्र से फीस वापसी के नियमों को सख्त कर दिया है। इस नीति के तहत अगर कोई विद्यार्थी प्रवेश लेने के बाद किसी दूसरे कॉलेज या कोर्स में दाखिला लेना चाहता है, तो पूर्व संस्थान को उसकी पूरी फीस वापस करनी होगी।
यूजीसी की यह नई व्यवस्था सत्र 2025-26 से लागू होगी और आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विद्यार्थियों को अपनी पसंद के कॉलेज और कोर्स चुनने की स्वतंत्रता मिले तथा उन्हें अनावश्यक आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े।
यूजीसी की इस पहल को छात्रों के हित में एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। अब विद्यार्थी बिना वित्तीय नुकसान की चिंता किए बेहतर संस्थान या कोर्स चुन सकेंगे। इससे उच्च शिक्षा में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति छात्रों को लचीलापन देगी और कॉलेजों को भी पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।
अक्सर विद्यार्थी किसी कॉलेज में दाखिला लेने के बाद बेहतर संस्थान या कोर्स मिलने पर अपना प्रवेश रद्द कर देते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में कॉलेज पूरी फीस लौटाने के बजाय भारी कटौती कर देती थीं। इस कारण विद्यार्थियों को हजारों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता था।
यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि 30 सितम्बर 2026 तक यदि कोई विद्यार्थी अपना प्रवेश रद्द करता है या किसी अन्य संस्थान में स्थानांतरण (माइग्रेशन) लेता है, तो संबंधित कॉलेज को बिना किसी कटौती के पूरी फीस लौटानी होगी। एक से 31 अक्टूबर 2026 के बीच एडमिशन रद्द करने पर कॉलेज अधिकतम एक हजार रुपए तक प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में काट सकता है।
जिन कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में एडमिशन प्रक्रिया 31 अक्टूबर 2026 के बाद भी चलती है, वहां पर यूजीसी का 2018 का नोटिफिकेशन लागू रहेगा। 2018 के नियमों के अनुसार, दाखिलों की अंतिम तारीख के हिसाब से फीस वापसी का प्रतिशत तय किया जाता है।
Published on:
13 Nov 2025 11:24 am
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