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विद्यार्थियों का साल बर्बाद हो गया है। नकल करने की उन्हें इतनी बड़ी सजा मिली है। इनमें बीबीए, बीकॉम, बीबीए, बीएससी के विद्यार्थी शामिल हैं, जो प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में बैठे थे। विश्वविद्यालय की यूएफएम समिति तीन श्रेणियों में नकल प्रकरणों को रखती है।
इसमें ए श्रेणी में प्रकरण क्षमायोग्य माना जाता है और परीक्षार्थी पर कोई कार्रवाई नहीं होती, वहीं श्रेणी बी में परीक्षार्थी का उक्त पेपर निरस्त किया जाता है, जिसमें नकल मिली थी, वहीं सी श्रेणी में परीक्षार्थी का प्रकरण संवेदनशील माना जाता है और उसकी समस्त
परीक्षा ही निरस्त कर दी जाती है।
नकल साधन मिलने पर विश्वविद्यालय तुरंत एक्शन नहीं लेता है। परीक्षा के दौरान नकल मिलने पर उक्त छात्र को दूसरी उत्तरपुस्तिका दे दी जाती है। उस वक्त तो वह परीक्षा दे सकता है, क्योंकि जांच के बाद ही प्रकरण पर कार्रवाई होती है। प्रकरण गंभीर पाए जाने पर विश्वविद्यालय यूएफएम की डी औ ई केटेगरी में उक्त छात्र पर परीक्षा के लिए प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
वार्षिक परीक्षा में मिले 48 प्रकरण हाल ही में विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा के दौरान उड़नदस्ता टीम को 48 नकल प्रकरण मिले। इनमें से सर्वाधिक नकल प्रकरण परीक्षा कक्ष में मोबाइल रखने को लेकर बनाए गए। विश्वविद्यालय प्रशासन पहले ही साफ कर चुका है कि परीक्षा केंद्र में यदि छात्र के पास मोबाइल मिलता है तो इसे नकल प्रकरण मानाकर कार्रवाई होगी। दरसअल, बहुत से छात्र परीक्षा केंद्र में मोबाइल लेकर पहुंच जाते हैं, लेकिन उसे बाहर रखने की बजाए कक्ष के भीतर रखकर परीक्षा देने लगते हैं। ऐसे में वीक्षक और उड़नदस्ता की जांच में मोबाइल मिलता है, भले ही वह उपयोग में नहीं है, लेकिन यह नकल साधान माना जाता है। इसलिए कक्ष के भीतर मोबाइल लेकर जाना पूरी तरह से वर्जित है। छात्र यह बात नहीं समझते और चेकिंग के दौरान मिले मोबाइल की वजह से मुसीबत में पड़ जाते हैं।