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12वीं के बाद 45 हजार से ज्यादा छात्र गायब! हेमचंद विवि में 45,663 सीटें खाली, शिक्षा का दबाव या रोजगार की मजबूरी?

CG News: भिलाई जिले में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के एडमिशन ने इस साल पिछले एक दशक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

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12वीं के बाद 45 हजार से ज्यादा छात्र गायब! हेमचंद विवि में 45,663 सीटें खाली, शिक्षा का दबाव या रोजगार की मजबूरी?(photo-patrika)

12वीं के बाद 45 हजार से ज्यादा छात्र गायब! हेमचंद विवि में 45,663 सीटें खाली, शिक्षा का दबाव या रोजगार की मजबूरी?(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के एडमिशन ने इस साल पिछले एक दशक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह रिकॉर्ड एडमिशन ग्राफ बढ़ोतरी का नहीं है, बल्कि दाखिलों के डाउनफॉल का है। संभाग के 161 निजी और शासकीय कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर (यूजी-पीजी) की कुल 70,460 सीटें हैं, जिनमें से इस साल सिर्फ 24797 सीटों पर ही एडमिशन हुए। यानी 45,663 सीटें खाली रह गईं।

CG News: 12वीं पास करने के बाद कहां गए बच्चे

यह आंकड़ें विश्वविद्यालय से जारी हुए हैं, जो एडमिशन तिथि के आखिरी दिन 14 अगस्त तक की स्थिति में है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल दुर्ग जिला सहित संभाग के शासकीय कॉलेजों में भी एडमिशन बेहद कम हुए। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय को एडमिशन पोर्टल में यूजी की 44074 सीटों के लिए 77678 आवेदन मिले, जिसमें से सिर्फ 18981 छात्रों ने एडमिशन लिया है।

यानी यूजी में 36093 सीटें खाली रह गई हैं। इसी तरह पीजी की 15386 सीटों के लिए 28639 छात्रों ने आवेदन किया, जबकि पीजी में प्रवेश सिर्फ 5816 ही हुए। यह आंकड़े चिंतित करने वाले हैं, क्योंकि यदि विद्यार्थी स्कूल के बाद कॉलेज नहीं पहुंच रहे तो फिर गए कहां?

इतने छात्र ने तो उच्च शिक्षा से जुड़े और न ही कौशल विकास से, फिर यह सभी गए कहां ?

संबद्ध कॉलेजों में करीब 50 हजार सीटें खाली रह गई हैं। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है। क्या अभी भी छात्र नई शिक्षा नीति को समझ नहीं पाए?

जवाब - राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) बहुत अच्छी पहल है। यह छात्रों को पहले की तुलना में अधिक मौके देती है, लेकिन अभी इसकी शुरुआत है, इसलिए छात्र इससे अभी पूरी तरह नहीं जुड़ पाए हैं।

हेमचंद विश्वविद्यालय भूपेंद्र कुलदीपकुलसचिव ने कहा की कॉलेजों में एडमिशन ग्राफ गिरा है। 40 हजार से ज्यादा सीटें यूजी और पीजी में खाली है। कॉलेज दोबारा से एडमिशन पोर्टल खोलने का आग्रह कर रहे हैं

छात्र गए कहां?

माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में इस साल दुर्ग जिले से 12818 बच्चे शामिल हुए थे। 10626 बच्चे उत्तीर्ण हो गए। 1221बच्चों को पूरक दिया गया था, जिनकी दोबारा परीक्षा के बाद 429 और पास हुए। कुल मिलाकर दुर्ग जिले से माशिमं के ही 11055 बच्चे थे। जबकि 35 सीबीएसई से भी 7336 बच्चे उत्तीर्ण हुए। इस तरह माशिमं और सीबीएसई को मिलाकर जिले से ही 18931बच्चों को कॉलेज पहुंचना चाहिए था, लेकिन इसके आधे ने ही प्रवेश लिया।

प्रदेश में निचले स्तर पर जीईआर

इस साल प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों का जीईआर यानी ग्रास इनरोलमेंट रेश्यो 27 फीसदी रहा है। यानी हर पांच में से सिर्फ एक छात्र ही उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहा है। जीईआर का यह आंकड़ा भी 27 फीसदी पहुंचा है, क्योंकि प्राइवेट विद्यार्थियों को भी इसमें जोड़ दिया है। का जीईआर सिर्फ 19.6 फीसदी है। इस जीईआर के तहत 12वीं के बाद 61 फीसदी छात्राएं कॉलेज पहुंच रही हैं, जबकि लड़के इसके आधे भी नहीं हैं।