
सुरेश जैन
भीलवाड़ा। राजस्थान में सबसे अधिक राजस्व खनिज से मिल रहा है। खनिज क्षेत्रों में मलबे के जगह-जगह खड़े पहाड़ अब सरकार के लिए सोना उगलेंगे। मलबे के इन पहाड़ों को समाप्त करने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी। इसके लिए प्रदेश के सभी खनिज अधिकारियों से इसके निस्तारण के सुझाव मांगे हैं।
प्रदेश में खनिज के दोहन ने प्रदेश को औद्योगिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ा, लेकिन नियम कायदों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई। अवैध खनन ने प्रदेश की धरा को बुरी तरह जख्मी कर दिया। वर्तमान में वैध कम और अवैध खनन ज्यादा हो रहा है।
प्रदेश में भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़, अलवर, जयपुर, जोधपुर, बालोतरा, कोटा, बूंदी आदि जिलों में अवैध खनन के चलते मलबे के पहाड़ खड़े हो गए। जिले में सर्वाधिक खनन माण्डलगढ़-बिजौलियां क्षेत्र में होता है।
भीलवाड़ा, आसीन्द, माण्डल, सहाड़ा-गंगापुर, रायपुर, जहाजपुर, कोटड़ी और मंगरोप क्षेत्र में भी खदानें हैं। वहां भी अधिकांश में खनन के नियम कायदे ताक पर हैं। खनिज दोहन के बाद बचे मलबे को इधर-उधर फेंका जा रहा है।
बिजौलियां क्षेत्र पत्थरों के ढेर में तब्दील हो गया है। माल निकाला, काम में लिया और वेस्टेज वहीं छोड़ दिया। कुछ इसी तर्ज पर यहां खनन हो रहा है। विभाग खान ने मालिकों को भूमि पुन: समतल करने के लिए पाबंद नहीं किया।
नतीजतन क्षेत्र में जहां पहले पहाड़ थे, वहां गहरी खाइयां और जहां समतल भूमि थी वहां खनन से निकले पत्थरों की अप्राकृतिक पहाडिय़ां बन गईं।
सैंडस्टोन के लिए क्वारी लाइसेंस प्रणाली से खनन पट्टे आवंटित किए हैं। माइका, क्वार्ट्ज, फेल्सपार, चाइना क्ले, सोपस्टोन की लीज है। भीलवाड़ा जिले के भूगर्भ में तीन प्रकृति के खनिज हैं, जिन्हें मैटेलिक, नॉन मैटेलिक तथा अप्रधान श्रेणी में विभक्त हैं।
जिले में पाए जाने वाले खनिज से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी अर्जित हो रही है। मूल्यवान मिनरल्स के कारण खनन माफिया सक्रिय हैं। अवैध खनन का कारोबार फल-फूल रहा है। विभाग समय-समय पर अवैध खनन के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई भी करता है।
खनिज विभाग खनन क्षेत्र में लगे मलबे के ढेर का उपयोग ढूंढऩे में लगा है। यह मलबा विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहा है। कोबल्स की विदेशी बाजार में मांग है। ओवर बर्डन के पत्थरों का उपयोग भवन निर्माण में किया जाए तो चुनाई पत्थरों की खदानों पर दबाव घटेगा। इसके अलावा सड़क निर्माण में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। सरकार को मिलने वाले सुझावों के आधार पर पॉलिसी बनाई जा सकती है।
-ओपी काबरा, अधीक्षण अभियंता, खनिज विभाग भीलवाड़ा
Published on:
18 Jan 2025 07:29 am
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