पूर्व पार्षद शिवराम खटीक (जेपी) की अगुवाई में सूचना केन्द्र चौराहा पर सोमवार रात बड़ी संख्या में युवा पत्रिका की पहल पर हुई जनता की जीत का जश्न मनाने के लिए एकत्रित हुए। भव्य आतिशबाजी करते हुए युवा कार्यकर्ताओं ने लोकतंत्र की हुई जीत पर पत्रिका के पहल की सराहना की और पत्रिका के जयकारे भी लगाए। इस दौरान महिला जिला कांग्रेस अध्यक्ष रेखा हिरण, मोहम्मद हारुन रंगरेज, मोहम्मद रफीक शेख, मेवाराम खोईवाल, ओमप्रकाश मल्होत्रा, सागर खटीक, पवन, बाबूलाल, मनीष, प्रहलाद, राजेश, पंकज तथा काजल खान समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता एवं विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे। जिलाध्यक्ष हिरण ने कहा कि पत्रिका ने जनता की आवाज बन कर काले कानून को वापस लेने की निर्णायक लड़ाई लड़ी। रंगरेज व मल्होत्रा का कहना था कि ये जीत एतिहासिक है और आज किसी उत्सव से कम का माहौल नहीं
पत्रिका की पहल हमेशा जनहित में रही है। पत्रिका के ही लगातार दबाव से जो काला कानून बनने जा रहा था उसे अब रोका जा सका। पत्रिका की यह सराहनीय है। पत्रिका बधाई की पात्र है।
जनता को न्याय दिलवाने और प्रदेश को भष्टा्रचार से मुक्त करने के लिए पत्रिका ने जो सार्थक अभियान चलाया, उसकी आज एतिहासिक जीत हुई। इस मुहिम से पत्रिका ने ये साबित कर दिया कि वे लोकतंत्र का मजबूत आधार है। इसके लिए पत्रिका राजस्थान बधाई की पात्र है।
धीरज गुर्जर, विधायक जहाजपुर
सरकार के जो ईमानदारी के दावे थे वे खोखले साबित हुए। यह अब जनता को भी पता चल गया है। यही वजह है कि उपचुनावों में सही आइना दिख गया। अब काला कानून भी वापस लेना पड़ा। पत्रिका की इस मुहिम से जनता की जीत हुई है।
सरकार काले कानून के जरिए काले कारनामे दबाना चाहती थी। लेकिन पत्रिका की जनता की आवाज बनी। इसमें लोकतंत्र की जीत हुई है। अब काले कारनामे करने वाले के असली चेहरे सामने आएंगे।
सरकार काला कानून बनाकर बनाने लोकतंत्र पर प्रहार करना चाहती थी। वे तानाशाह बनना चाहती थी लेकिन जनआक्रोश के दबाव में इसे वापस लेना पड़ा। इसमें पत्रिका की मुहिम रंग लाई। बाकी जो काले कानून है उन्हें भी सरकार ने वापस नहीं लिया तो आने वाले चुनावों में जनता जवाब देगी।
प्रद्युम्नसिंह, सदस्य, जिला परिषद
राजस्थान पत्रिका ने गलत चीज का कभी साथ नहीं दिया। इस बार भी सरकार जिद पर थी, लेकिन पत्रिका अपने पाठकों के विश्वास के आधार पर नहीं झुकी। इसकी परिणाम है कि आखिर सरकार को इस काले कानून को वापस लेना पड़ा। यह जीत राजस्थान की जनता की है।
काले कानून के खिलाफ पत्रिका ने आवाज उठाई। सरकार चाहती थी लोकसेवक कोई गड़बड़ करें तो उनके खिलाफ सरकार की बिना अनुमति कुछ नहीं किया जाए। यह लोकतंत्र के अनुकुल नहीं था। पत्रिका ने सही मुद्दा उठाया। आखिर सरकार झुकी और बात मानी। इसके लिए पत्रिका को धन्यवाद।
मधु जाजू, पूर्व सभापति नगर परिषद
सरकार चाहती थी कि काला कानून प्रदेश में लागू हो। इसे पत्रिका ने अभियान के रूप में चलाया। जब तक काला तब तक ताला अभियान चला। सरकार के खिलाफ इस तरह आवाज बनकर उभरी इसी का परिणाम है कि सरकार को इस काले कानून को वापस लेना पड़ा।
काले कानून को वापस लेना लोकतंत्र की जीत है। सरकार इसमें मनमानी करना चाहती थी लेकिन पत्रिका के आगे झुकना पड़ा। यह पाठकों की जीत है। आखिर जनता की आवाज बुलंद रही।
महावीर समदानी, सामाजिक कार्यकर्ता
सरकार विधानसभा में इस काला कानून को लाकर भ्रष्ट अफसरों को बचाना चाहती थी। राजस्थान की जनता ने उसे स्वीकार नहीं किया। इसमें पत्रिका सेतू बना और जब तक काला तब तक ताला अभियान चलाया। यही वजह है कि सरकार को झुकना पड़ा।
काला कानून गलत था। सरकार को यह निर्णय पूर्व में ही ले लेना था। इस कानून से आमजन की आवाज को दबाने का प्रयास था। पत्रिका को इसके लिए साधुवाद है।
काला कानून बनाने का प्रस्ताव लाकर ही सरकार न्यायोचित नहीं कर रही थी। इससे लोगों की समस्या कम होने की बजाए और बढ़ जाती। पत्रिका की मुहिम रंग लाई है। पत्रिका की पहल पर सरकार को निर्णय वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
– राधेश्याम शर्मा, व्यवसायी
काला कानून लाकर जनता के साथ सरकार कुठाराघात करने वाली थी। इस कानून से आमजन की समस्या और बढ़ जाती। पत्रिका के दबाव के आगे आकर आखिर सरकार को झुकना पड़ा। राजस्थान पत्रिका की इससे जीत हुई है।