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मध्य प्रदेश में 50% से ज्यादा हृदय रोग के मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज, गंभीर है वजह

सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 6 हृदय रोग विशेषज्ञ, 50 फीसदी से ज्यादा मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज। प्रदेश में सिर्फ 2 ही महिला हृदय रोग विशेषज्ञ। अकेले हमीदिया में 4 हृदय रोग विशेषज्ञ।

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मध्य प्रदेश में 50% से ज्यादा हृदय रोग के मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज, गंभीर है वजह

भोपाल. हाल ही में आई रिपोर्ट में सामने आया है कि, लोगों में हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। राजधानी में ही में रोजाना लगभग एक हजार मरीज दिल से जुड़ी परेशानियों के आते हैं। लेकिन चिंता की बात ये है कि, इनमें से 50 फीसदी से ज्यादा मरीज को इलाज ही नहीं मिल पा रहा। शहर के पांच बड़े सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 6 हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। जानकारी के अनुसार, इनमें से 4 तो अकेले हमीदिया और दो बीएमएचआरसी अस्पताल में हैं।

वहीं, 2018 में भी एक स्टडी सामने आई थी जिसके अनुसार, महिला हृदय विशेषज्ञ अगर हार्ट की महिला मरीजों का इलाज करती हैं तो उनके ठीक होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। लेकिन, प्रदेश में सभी अस्पताल मिला कर सिर्फ 2 ही महिला हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्में एक भोपाल में डॉ. माधुरी नागोरी तो दूसरी इंदौर में डॉ. सरिता राव हैं।

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शोध: महिलाओं में हार्ट अटैक का पता लगाने में महिला डॉक्टर तीन गुना बेहतर

लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में कार्डियक फार्मालॉजी के प्रोफेसर स्यान हार्डिंग ने साल 2002 से 2013 तक महिला और पुरुषों में हार्ट अटैक के मामलों पर शोध किया है। इस दौरान उन्होंने हार्ट अटैक के 13 लाख मामलों का अध्ययन किया, जिसमें सामने आया कि महिलाओं में हार्ट अटैक का पता महिला डॉक्टरों ने पुरुष डॉक्टरों के मुकाबले तीन गुना पहले लगा लिया। ऐसा इसिलए, क्योंकि पुरुष डॉक्टर सोचते हैं कि, महिलाओं में हार्ट अटैक की आशंका कम होती है। साथ ही, उनको बेहतर उपचार नहीं मिल पाता है।


शहर के अस्पतालों के हाल

शहर के हमीदिया, बीएमएचआरसी, एम्स, कमला नेहरू और जेपी अस्पताल इन पांच सरकारी अस्पतालों पर शहर के स्वास्थ की जिम्मेदारी है। मगर इनमें से ज्यादातर में दिल के इलाज की बेहतर व्यवस्थाएं नहीं हैं। इसके चलते हमीदिया अस्पताल पर मरीजों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यहां चार कार्डियोलॉजिस्ट और दो कार्डियक सर्जन हैं। ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। अत्याधुनिक कैथ लैब से यहां रोजाना एक मेजर और सात मानइर सर्जरी की जाती हैं। फिर भी मरीजों की संख्या अधिक होने से 15 दिन से एक महीने तक का इंतजार करना पड़ता है। वहीं, एम्स भोपाल में भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ का न होना चिंता का विषय है। हालांकी, कार्डियक सर्जन के होने से यहां कई सर्जरी की जा रहीं हैं। इसके अलावा जेपी और कमला नेहरू अस्पताल में एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। बीएमएचआरसी में दो विशेषज्ञ हैं, लेकिन यहां आने वाले अधिकतर मरीज गैस पीड़ित ही होते हैं।

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खराब जीवनशेली है, मुख्य कारण

डॉक्टरों के अनुसार, खराब जीवनशेली के कारण दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट में तो ये भी कहा गया है कि, प्रदेश में दिल की बीमारी से करीब 32 लाख लोग प्रभावित हैं। इतना ही नहीं, हर 100 में से 3 मरीज युवा हैं। युवाओं में अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से दिल की बीमारी बढ़ रही है। बच्चों को कम उमर से ही फास्ट फूड देना इसका एक मुख्य कारण है।
इसके अलावा, तंबाकू का सेवन, मधुमेह, उच्‍च रक्‍तचाप, अधिक कलेस्‍ट्रॉल, धूम्रपान, अनियमित नींद और तनावपूर्ण वातावरण भी दिल की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं।


ये लक्षण नजर आएं तो तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क

-सीने में असहजता
-जबड़े, दांत या सिर में दर्द
-थकान महसूस होना
-बिना वर्कआउट किए अधिक पसीना आना
-अचानक चक्कर आना
-कंधों में दर्द

इनका कहना है

जीएमसी के कॉर्डियोलाजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि, ये बात सही है कि, फिलहाल हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी है। मगर हमारे एमडी डॉक्टर अनुभवी हैं और सभी बेसिक उपचार देने में समर्थ हैं। हमारी टीम लगातार प्रयास कर रही है कि, भविष्य में हृदय रोग को कैसे रोक सकते हैं। इसके लिए जीएमसी में पब्लिक एजुक्शन, पेशेंट अवेयरनेस और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।

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