
Good News: भोपाल एम्स के साथ दूसरे संस्थानों ने मिलकर विकसित की नई टेक्नीक दो मिनट में इलाज मिलने से नहीं जाएगी किसी की जान। (फोटो: सोशल मीडिया)
Good News: सड़क हादसा हो या गंभीर चोट, सबसे बड़ा खतरा मस्तिष्क में होने वाला रक्तस्राव (ब्रेन ब्लीडिंग) है। अक्सर समय पर पहचान न होने से मरीज की जान तक चली जाती है। अब इस खतरे से निपटने के लिए क्रांतिकारी उपकरण बनाया गया है। एम्स भोपाल और देश के कई प्रमुख संस्थानों के इंजीनियरों ने मिलकर 'सेरेबो' नामक उपकरण विकसित किया है। यह महज दो मिनट में दिमाग के अंदर रक्तस्राव या सूजन का पता लगा सकता है। उपकरण पूरी तरह पोर्टेबल और नॉन- इनवेसिव (बिना चीरा लगाए) है। इसे कहीं भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। जांच के परिणाम तीन रंगों हरा, पीला और लाल में आते हैं। इन्हें कोई भी आसानी से समझ सकता है।
सेरेब्रो को आइसीएमआर चिकित्सा उपकरण एवं निदान मिशन सचिवालय (एमडीएमएस), एम्सभोपाल (AIIMS Bhopal), निम्हांस बेंगलुरु और बायोस्कैन रिसर्च कंपनी ने मिलकर बनाया है। परीक्षण एशिया के सबसे बड़े अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 70 से अधिक मरीजों पर किया। यह 100% असरदार साबित हुआ।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल जर्नल्स के अनुसार, देश में हर साल सड़क हादसों और अन्य दुर्घटनाओं में घायल होने वाले मरीजों में से करीब 44% की मौत एक माह में हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी मस्तिष्क चोटों में मृत्यु दर 30 से 50 प्रतिशत तक है। यदि समय पर मस्तिष्क में रक्तस्राव (Brain Bleeding)या सूजन का पता चल जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सेरेब्रो में नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का उपयोग किया गया है। यह तकनीक मस्तिष्क ऊतक से गुजरने वाली प्रकाश तरंगों का विश्लेषण करती है। इसके बाद मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म डेटा को प्रोसेस कर तुरंत यह बता देता है कि मस्तिष्क में रक्तस्राव या सूजन है या नहीं।
Published on:
27 Aug 2025 09:27 am
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