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नवविवाहिता सोनम रघुवंशी ने कैसे करवा डाली अपने पति की हत्या! मनोचिकित्सक ने खोला राज

Analysis of Sonam Raghuvanshi case - सोनम रघुवंशी केस में भोपाल के विख्यात मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकान्त त्रिवेदी से पत्रिका की खास बातचीत

Analysis of Sonam Raghuvanshi case by psychiatrist Dr. Satyakant Trivedi
Psychiatrist Dr. Satyakant Trivedi- Patrika.com

Analysis of Sonam Raghuvanshi case - इंदौर के नवदंपत्ति राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी के शिलांग में गायब होने के केस में सोमवार को जो ट्विस्ट आया, उसपर हर कोई हैरान है। नवविवाहिता सोनम पर अपने पति की सुपारी देकर हत्या करवाने का आरोप लगाया गया है। कुछ ही दिनों पहले सात फेरे लेकर जन्म जन्म के बंधन में बंधने की दुहाई देनेवाली, पति के साथ हमेशा हंसती-मुस्कुराती नजर आनेवाली इस युवती के मंसूबे कितने खतरनाक हैं, यह कोई भी नहीं भांप सका। सोनम रघुवंशी ने न केवल रिश्तों का निर्ममता से कत्ल किया बल्कि दांपत्य जीवन के प्रति लोगों के कम होते विश्वास को और डिगा दिया है। भोपाल के विख्यात मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने इस केस के बहाने भारतीय महिलाओं की बदलती मनोदशा को समझने की जरूरत जताई है। उनका मानना है कि हमारे सामाजिक ढांचे में महिलाओं को शादी के मामले में अभी भी ज्यादा आजादी नहीं है, उनकी इच्छाएं मन में दबी रह जाती हैं जोकि बाद में ऐसा विस्फोटक रूप ले लेती हैं। उनका यह भी कहना है मीडिया अब अपराधों को महिमा मंडित करता है​ जिसके कारण लोग हत्या जैसे गंभीरतम अपराधों से भी डर नहीं रहे।

मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि भारतीय समाज में महिलाओं को शादी के पहले न कहने की आजादी नहीं है] हां करने का दबाव रहता है। ऐसे में मन की मन में ही दबी रह जाती है और बिना अपनी इच्छा के लोग वैवाहिक संबंधों में जाते हैं। यही कारण है कि हत्या जैसी वारदातें बढ़ रहीं हैं।

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डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि-

सोसायटी के इश्यू व्यक्ति की मनोदशा- मानसिक स्थिति को बदल रहे हैं और ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं। राजा सोनम जैसे मामलों को सामाजिक एंगल से देखें। हमारे भारतीय समाज में अक्सर महिलाओं को शादी के पहले न कहने की आजादी नहीं है… हां ही करने का दबाव रहता है। ऐसे में मन की मन में ही दबी रह जाती है और बिना अपनी इच्छा के लोग वैवाहिक संबंधों में जाते हैं… सोशल मीडिया में अपराधियों को ही नायक के रूप में दिखाया जा रहा है…हत्या जैसी वारदात करने में लोग सोचते तक नहीं हैं कि हमें पकड़ा जा सकता है…उन्हें यह भ्रम हो जाता है कि हम इसे स्मार्टली अंजाम दे पाएंगे…जरूरत है कि हम ऐसी घटनाओं को सामाजिक एंगल से देखें…. अपराधों को जेंडर वाइस भी न देखें, प्राय: लोग ऐसा बोलते हैं कि पत्नी ने ऐसा किया…जो इंसानी समस्याएं पुरुषों में हैं वही अब महिलाओं में देखने को मिलती रहेंगी…।