महाजन के इस बयान पर भाजपा के अधिकांश बड़े नेताओं ने खुलकर कुछ कहने से मना किया है, लेकिन दबी जुबान वे यह स्वीकार रहे हैं कि सुमित्रा महाजन के इस बयान से पार्टी का मजाक बन रहा है। कुछ नेताओं ने ये भी कहा कि उन्होंने ये बयान देकर साबित किया कि शिवराज सरकार में भाजपा नेताओं की सुनवाई नहीं होती थी। उन्हें अपने काम करवाने के लिए विपक्षी दल कांगे्रस का सहारा लेना पड़ता था। उनका यह बयान दो दिन से कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि महाजन का ये बयान एेसे समय आया है जब लोकसभा का सत्र चल रहा है। ऐसे में पूर्व स्पीकर की टिप्पणी ने दिल्ली में भी भाजपा नेताओं को असहज कर दिया है।
भाजपा नेताओं का अनौपचारिक रूप से कहना है कि सुमित्रा महाजन अगर स्पीकर जैसे अहम पद पर रहते हुए इंदौर का कोई काम कराना चाहती थी तो वे पार्टी के बड़े नेताओं को सीधे-सीधे भी कह सकती थीं। महाजन इससे पहले भी बयानों के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं। ऐसे में पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ बड़े नेताओं को सुमित्रा महाजन से चर्चा करने और उन्हें समझाईश देने की जिम्मेदारी सौंपने पर विचार किया जा रहा है। इसके पहले लोकसभा चुनाव में नाराज हुईं सुमित्रा को मनाने को जिम्मा संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी को सौंपा गया था। इस बार भी मालवा के कुछ बुजुर्ग नेताओं को यह काम दिया जा सकता है।
नेताप्रतिपक्ष बोले- क्षेत्र के विधायक से उठवा सकती हैं मामला
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि सुमित्रा महाजन तो सबकी ताई हैं, वे तो सभी नेताओं के लिए सम्मानीय है। वे अपने किसी भी भतीजे से इंदौर के विकास के लिए बात उठाने के लिए कह सकती हैं। जीतू पटवारी और तुलसी सिलावट से अगर उन्होंने कहा तो कुछ गलत नहीं बोला, वो भी उनके ही संसदीय क्षेत्र के विधायक रहे हैं।
यह बोलीं थी महाजन-
रविवार को इंदौर में एक कार्यक्रम में सुमित्रा महाजन ने कहा था कि जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और वे लोकसभा में स्पीकर थीं तो पार्टी अनुशासन के कारण खुद कुछ बात नहीं कह पाती थीं। ऐसे में वे इंदौर के विकास से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए कांग्रेसी विधायक जीतू पटवारी और तुलसी सिलावट से बोल देती थीं। मैं इनसे कहती आप यहां मुद्दा उठाओ आगे में आपकी बात शिवराज सिंह चौहान और केंद्र सरकार तक पहुंचा दूंगी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल लालजी टंडन भी मौजूद थे।