
World Wetlands Day: मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) की प्रोफेसर डॉ. सुरभि मेहरोत्रा ने 'सामाजिक पारिस्थितिक तंत्र' (Social Ecosystem) नाम का मॉडल तैयार किया है, जो दुनिया भर के हजारों वेटलैंड (आद्रभूमि) को संरक्षित करने में सक्षम है। इन वेटलैंड पर करोड़ों की आबादी आश्रित है लेकिन अब इनके अस्तित्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
जलवायु परिवर्तन (climate change) और आधुनिक जीवन शैली से इन्हें बहुत नुकसान हो रहा है, जिससे यहां रहने वाले लोगों की सभ्यता और संस्कृति के साथ खान-पान व जीवन यापन पर संकट के बादल छाए हुए हैं। इनसे बचने के लिए हर साल दो फरवरी को विश्व वेटलैंड्स दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है। यदि इस मॉडल को फॉलो किया गया, तो वेटलैंड की सभ्यता कई सदियों तक जिंदा रह सकती है।
मैनिट प्रोफेसर डॉ. सुरभि मेहरोत्रा ने बताया कि, वेटलैंड वह दलदलीय क्षेत्र है, जो पर्यटन और जैव विविधता की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। डॉ. सुरभि ने मणिपुर के प्रसिद्ध 'लोकतक वेटलैंड' पर शोध किया है। इस वेटलैंड पर करीब 300 आवास हैं, जिनमें दो हजार की आबादी रहती है। हाल के सालों में वेटलैंड्स के स्वभाव में तेजी से बदलाव आया है, जिससे यहां के रहवासियों को तरह-तरह की दिक्कतें हो रही हैं। इन लोगों को विस्थापित किए बिना इनके जीवन में सुधार किया जा सकता है।
बायोडायवर्सिटी के लिए इन वेटलैंड का सुरक्षित रहना अत्यंत जरूरी है, लेकिन प्रदूषण सहित अन्य कारणों से पेयजल की समस्या प्रमुख रूप से पैदा हो गई है। यहां के निवासी जीविकोपार्जन के लिए मत्स्य पालन और जलीय कृषि करते हैं, जिसमें भारी गिरावट आई है। वहीं भौतिक और आधुनिक परिस्थितियों में आवश्यक विकास भी नहीं हो पा रहा है।
यह मॉडल सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर आधारित है, जिसे दुनिया के हर एक वेटलैंड पर लागू किया जा सकता है। मॉडल स्थानीयता के नियम पर केंद्रित है। यहां पर स्कूल, अस्पताल और सभी तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थानीय लोगों द्वारा और स्थानीय संसाधनों से बनाने की बात की गई है। इसमें उत्पाद, आबादी, जीवन यापन और विकास में निर्धारित संतुलन बनाने की बात कही गई है।
Published on:
02 Feb 2025 06:35 pm
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