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Corona prevention : वायरस जीवित होता है या अजीवित, क्या ये खुद ही नष्ट होता है?

वायरस जीवित होता है या अजीवित?

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Corona prevention

Corona prevention : वायरस जीवित होता है या अजीवित, क्या ये खुद ही नष्ट होता है?

भोपाल/ 'वायरस' ये शब्द दुनियाभर में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है। दुनियाभर में ये शब्द अब उस हर बच्चे को भी याद हो चुका है, जिसने अब तक कभी कोई बीमारी नहीं देखी। मध्य प्रदेश में जहां संक्रमण ने अब तक 32 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई मंत्री, विदायक और नेता भी अब अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। राजधानी भोपाल समेत मध्य प्रदेश के कई शहरों में एक बार फिर लॉकडाउन लग चुका है, जिससे कारोबार में गिरावट आ गई है। फिलहाल, अब हर एक की जबान पर सिर्फ एक सवाल है, आखिरकार ये वायरस कब खत्म होगा। आइए इसके बारे में थोड़ी जानकारी बढ़ाते हैं। देखते हैं विज्ञान की किताबों में क्या लिखा है।

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सबसे पहले विज्ञान की भाषा में समझिए

वैज्ञानिक शब्दों के आधार पर वायरस का शाब्दिक अर्थ 'विष 'या 'ज़हर' सबसे पहले इसे वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने चेचक के विषाणु का पता लगाया था। अब सवाल ये है कि, विषाणु या वायरस जीवित है या अजीवित? जीव विज्ञान के अनुसार, जो कोशिका या सेल है वही जीवित है। अब सवाल उठता है कि कोशिका क्या है? 'सभी जीवों की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते है,'इसी कोशिका में जीव अपनी सभी जैविक क्रियाएं जैसे श्वसन, पाचन उत्सर्जन आदि पूर्ण करते हैं। विषाणु एक संपूर्ण कोशिका नहीं है। ये जीवित और निर्जीव के बीच की कड़ी है। यानी इनमें दोनों लक्षण पाए जाते हैं। एक और खास तथ्य ये है कि, जीवित कोशिका में पहुंचते ही ये जीवित की तरह व्यवहार करने लगता है, जबकि मृत कोशिका में ये मृत की तरह व्यवहार करता है।

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अब सरल शब्दों में जानिए

विषाणु संक्रमण कैसे करते हैं ये नाभिकीय अम्ल (DNA/RNA) और प्रोटीन से मिलकर बने होते हैं। जब ये एक बार जीवित कोशिका में पहुंच जाते हैं तो अपने DNA या RNA की प्रतिकृति बनाने लगते हैं। कुल मिलाकर अगर ये किसी जीवित प्राणी के शरीर में है, तो जीवित हैं और अगर ये किसी निर्जीव वस्तु पर पड़े हुए हैं, तो निर्जीव है। इनकी इस खास बात के कारण सबसे बड़ी समस्या ये है कि, ये अपने आप नष्ट नहीं होते। क्योंकि जब इन्हें भोजन मिलता है तभी ये जीवित होते हैं। भोजन नहीं मिलता तो ये निर्जीव हो जाते हैं।