मध्यप्रदेश फिर जर्जर सडक़ों के लिए सुर्खियों में है. क्या बजट की कमी है या काम में लापरवाही?
बजट पर्याप्त है। मध्यप्रदेश में बारिश के बाद बड़ी संख्या में सडक़ें जर्जर हुई हैं। इन्हें सुधारने के निर्देश दिए हैं। समीक्षा भी कर रहे हैं।
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सडक़ों का निर्माण थम सा गया है, विभाग की क्या प्राथमिकता है?
सडक़ों को लेकर 26 जनवरी के बाद बड़ी बैठक करेंगे। अभी सडक़ों और पुल के काम चल भी रहे हैं। आरआइएफ से 1800 करोड़ की राशि मंजूर हुई है।
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सियासी तौर पर क्या कहेंगे, क्या 2023 का चुनाव भाजपा के लिए आसान रहेगा?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पतन की ओर है। 2023 में भाजपा की जीत तय है। पिछली बार कुछ गलतियां हुई थीं, वह इस बार पार्टी नहीं करेगी। पार्टी हर वक्त चुनाव के लिए तैयार रहती है।
सडक़ों में ठेकेदारों के गठजोड़-माफिया पर लगाम के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
कई बार सामने आया है कि ठेकेदार मिलकर एसओआर से कम रेट में टेंडर में डालते हैं। तकनीकी तौर पर कुछ नहीं हो सकता, क्योंकि जिस का भी रेट कम आता है, उसे टेंडर देना होता है, लेकिन इस समस्या का समाधान खोज रहे हैं। इसके अलावा सडक़ों की मॉनीटरिंग के लिए मोबाइल ऐप भी विकसित किया जा रहा है। इस पर शिकायत भी की जा सकती है। तत्काल एक्शन लेने की व्यवस्था रहेगी।
सडक़ों का घटिया निर्माण एक बड़ी समस्या है, इसके लिए ठोस कदम क्या उठाए जाएंगे?
सडक़ों, पुल, भवनों के निर्माण में थर्ड पार्टी एनालिसिस की व्यवस्था कर रहे हैं। इसके तहत निर्माण की जांच तीसरी एजेंसी से कराएंगे। वह रिपोर्ट देगी, उसके बाद ही उसकी गुणवत्ता को मान्य किया जाएगा।
प्रदेश में सडक़ों की कनेक्टिविटी को सही करने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
विधायकों-सांसदों से उनके क्षेत्र की सडक़ों को बनाने के लिए अनुशंसा मांगी है। उसी आधार पर सडक़ों का निर्माण करेंगे। विधायकों से छोटी-छोटी सडक़ों की अनुशंसा आई है। सांसदों को भी पत्र भेज दिए हैं। इसलिए जहां जरूरत है, वहां की सडक़ें हम बनाएंगे।