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एमपी के ऐसे नेता जिन्होंने 9 साल की उम्र में ही छेड़ दिया था आंदोलन, पिता के खिलाफ उठाई थी आवाज

Shivraj Singh Chouhan Birthday: एमपी के इतिहास में एक ऐसे सीएम का नाम भी दर्ज है, जिसने 9 साल की कम उम्र में ही पिता के खिलाफ आवाज उठाई और पूरे गांव में एक बड़ा आंदोलन छेड़ दिया…एक बच्चे की जिद के आगे पिता को झुकना पड़ा, यहां पढें वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बचपन का क्रांतिकारी किस्सा...

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Happy Birthday Shivraj

Happy Birthday Shivraj

Shivraj Singh Chouhan Birthday Special: आज 5 मार्च को भाजपा के वरिष्ठ और कद्दावर नेता, एमपी के पूर्व सीएम तथा वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना 66वां जन्म दिन मना रहे हैं। वहीं इनके नाम दर्ज है एक रिकॉर्ड कि वे पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने 17 साल तक मध्य प्रदेश की सत्ता संभाली। ये वही पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान हैं, जिन्होंने 9 साल की उम्र में अपने पिता के खिलाफ ही आवाज उठाई और मजदूरों का वेतन बढ़ाने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि शिवराज को राजनीति विरासत में नहीं मिली, बल्कि उन्होंने राजनीति में कड़े संघर्ष करते हुए अपना कद बढ़ाया है। आज वो जिस मुकाम पर हैं, उसका बिगुल उन्होंने 9 साल की उम्र में ही बजा दिया था।

पिता से ही भिड़ गए

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान खेतों में मजदूरी करने वाले मजदूरों के लिए अपने पिता प्रेम सिंह के खिलाफ उठ खड़े हुए। उन्होंने अपने ही गांव में मजदूरों की मेहनत का पैसा दोगुना करने की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा। 9 साल की उम्र में एक बच्चे का ऐसा क्रांतिकारी स्वभाव देख हर कोई दंग रह गया। तब उनके गांव में मजदूरों की मजदूरी बहुत कम थी। ऐसे में उन्होंने एक दिन गांव के सभी मजदूरों को एकजुट किया।

मजदूरों से कहा जब तक दोगुनी मजदूरी न हो जाए, तब तक काम मत करना

शिवराज ने मजदूरों से कहा कि जब तक उनकी मजदूरी दोगुनी न हो जाए, तब तक किसी के यहां काम मत करना। बच्चे का हौंसला देख मजदूरों ने भी उनकी बात मान ली। जिसके बाद मजदूरों का जुलूस लेकर शिवराज नारे लगाते हुए पूरे गांव में घूमे। बच्चा मजदूरों के नेतृत्व का आंदोलन कर रहा था, यह देख पूरा गांव हैरान था। उस वक्त शिवराज ने नारा भी दिया था कि मजदूरों का शोषण बंद करो, ढाई पाई नहीं-पांच पाई दो।

शिवराज के घर भी नहीं आए मजदूर

इसके बाद शिवराज के घर पर भी काम करने वाले मजदूर नहीं आए और उन्हें खुद अपने घर का काम करना पड़ा। मजदूरों के नहीं आने से उन्हें उनके पिता और चाचा से खूब डांट भी सुननी पड़ी। मजदूरों के लिए शिवराज अपने पिता से भी भिड़ गए। उन्होंने मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया, जब तक उनकी मजदूरी दोगुनी नहीं हो गई। आखिरकार मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के लिए हुए इस आंदोलन में सीएम शिवराज की जीत हुई। गांव के सभी मजदूरों की मजदूरी बढ़ी।

बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे शिवराज

शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के व्यक्ति थे। बचपन में मजदूरों के एक आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद शिवराज सिंह चौहान में एक राजनेता का चेहरा दिखाई दे गया था। आपातकाल के दौरान वे जेल भी गए। शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ था। उनके पिता किसान प्रेम सिंह चौहान थे।

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