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यहां फ्री में होता है कैंसर का इलाज, एक दिन में देश-विदेश से आते हैं हज़ारों लोग

locationभोपालPublished: Jul 04, 2019 05:31:37 pm

Submitted by:

Faiz

कैंसर एक बड़ी ही गंभीर बीमारी है, जिसका पूर्ण इलाज अब तक मेडिकल साइंस भी नहीं खोज पाया है। लोग महंगे महंगे ट्रीटमेंट कराने के बावजूद भी उपचार से संतुष्ट नहीं रहते। ऐसे में फ्री में मिलने वाली ये औषधीय जड़ी बूटी कैंसर के मरीज़ के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। आप इस जानकारी को खुद तो पढ़ें ही, साथ ही अन्य लोगों को भी शेयर करें। हो सकता है कि, आपके एक शेयर से कोई इस औषधी का लाभ ले और उसका बहुमूल्य जीवन बच जाए।

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यहां फ्री में होता है कैंसर का इलाज, एक दिन में देश-विदेश से आते हैं हज़ारों लोग


बैतूलः कैंसर, एक ऐसा नाम है जिसे सुनने भर से ही अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। दिन ब दिन इसके पीड़ितों की संख्या ( Types of Cancer treatment ) हमारे देश में बढ़ती जा रही है। ये कहना गलत नहीं होगा कि, अब तक ये एक लाइलाज बीमारी ही मानी जाती है। कैंसर ( Cancer treatment ) की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए पीड़ित अपना पूरा धन-दौलत खर्च करने को भी तैयार रहता है। लेकिन, इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा पाना सभी के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसे में अगर आपसे कहा जाए कि, मध्य प्रदेश के बेतूल जिले के एक छोटे से गांव में इस गंभीर बीमारी का इलाज ( cancer treatment in betul ) किया जाता है, वो भी बिल्कुल फ्री में, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन ये सौ फीसदी सच है। यहां आने वाले लोगों का विश्वास है कि, यहां फ्री में मिलने वाली जड़ीबूटियों से कैंसर का इलाज संभव है।

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औषधी ने किया देश विदेश में मशहूर

वैसे तो बैतूल जिले को सतपुड़ा के जंगलों के कारण वैश्विक ख्याति प्राप्त है, लेकिन यहां के जंगलों की एक और खूबी है और वो ये कि, यहां कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी ( Free Cancer Treatment ) को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का भी भंडारण है। ये भी एक कारण है जिसके चलते बेतूल को देश-विदेश में खास पहचान मिल रही है। हालांकि, कैंसर का इलाज करने वाली जड़ी बूटी का खास ज्ञान सिर्फ जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले वैद्य भगत बाबूलाल को ही है, जो कैंसर के इलाज ( Types of Cancer Treatment ) में कारगर जड़ी बूटी को ईश्वर का वरदान मानते हुए सच्ची निष्ठा के साथ लोगों का उपचार करने में जुटे हुए हैं। खास बात ये है कि, वैद्य भगत बाबूलाल इस खास जड़ी बूटी की कोई कीमत भी नहीं लेते। यानी यहां आने वाले हर पीड़ित को ये दवा फ्री में दी जाती है।

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एक दिन पहले से लगाना पड़ता है नंबर

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, कैंसर भारत ही नहीं दुनियांभर ( cancer treatment free in india ) में लोगों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, जिससे निजात पाने के लिए इस छोटे से गांव में हज़ारों की संख्या में मरीज़ पहुंचते हैं। चूंकि, मरीजों को उनकी दवा से फायदा पहुंचता है, इसलिए उनके यहां प्रत्येक रविवार और मंगलवार मरीजों का तांता लगा रहता है। यहां आने वाले सभी मरीजों को ज्यादा भीड़ होने के कारण एक दिन पहले ही नंबर लगाना पड़ता है। वैद्य महोदय भी पूरी जान लगाकर एक दिन में करीब एक हज़ार से ज्यादा मरीजों को देखकर उन्हें कैंसर के इलाज में कारगर जड़ी बूटी मुहैया कराते हैं।

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परहेज़ बेहद ज़रूरी

बाबूलाल का कहना है कि, कैंसर के इलाज में कारगर जड़ी बूटी से लाभ तब तक नहीं हो सकता, जब तक उसके साथ बताए गए परहेज़ को कड़े ढंग से लागू नहीं किया जाए। यानी बताए गए परहेज़ के साथ ही जड़ी-बूटी अपना दिखाती है। जड़ी-बूटियों से इलाज के दौरान मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रकार की सब्जियों को प्रतिबंधित किया जाता है। यहां पहुंचने वाले मरीजों का भी यही मानना है कि, जिन लोगों ने नियमों का परिपालन करके दवा का सेवन किया हैं उन्हें इस गंभीर बीमारी से छुटकारा भी मिला है। बताया गया कि भगत बाबूलाल सुबह से शाम तक खड़े रहकर ही मरीजों को देखते हैं। कैंसर को लेकर वो अब तक लाखों मरीज़ देख चुके हैं। मरीजों का मानना है कि, वो लोगों का इलाज करते करते इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि, चेहरा देखकर या नाड़ी पकड़कर ही मर्ज की स्थिति बता देते हैं।

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ऐसे पहुंचें उपचार कैन्द्र

मध्य प्रदेश के बेतूल जिले से 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित घोडाडोंगरी ब्लॉक है, जिससे 3 किलोमीटर आगे कान्हावाड़ी गांव स्थित है, यहीं निवास करते हैं कैंसर का उपचार करने के लिए मशहूर वैद्य बाबूलाल जो सप्ताह में सिर्फ दो दिन यानी रविवार और मंगलवार सुबह आठ बजे से अपने उपचार स्थल पर बैठते हैं। हालांकि, उनके उठने का कोई समय सुनिश्चित नहीं है। वैद्य बाबूलाल का मानना है कि, यहां दुनिया के कोने कोने से लोग उपचार की आशा लेकर आते हैं। ऐसे में अगर मैं किसी तय समय पर औषधि केन्द्र बंद कर दूं तो कितने लोग परेशान होंगे इसका अंदाजा़ भी नहीं लगाया जा सकता।

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