खास बात ये है कि, इसमें अमेरिका के बेस्ट डॉक्टर्स भी संबंधित मेडिकल कॉलेजों के चकित्सकों का सहयोग करेंगे। इस संबंध में जानकारी देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने प्रेसवार्ता के जरिए बताया कि, उक्त चारों जिलों में स्टेम सेल थेरेपी आधारित बोनमेरो ट्रांसप्लांट और पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट 6 माह में तैयार हो जाएंगे।
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गांधी मेडिकल कॉलेज से होगी शुरुआत
नए बनने वाले यूनिट्स में बच्चों की उक्त जेनेटिक बीमारियों के इलाज के लिए संक्रमित बोनमैरो निकालकर दूसरी बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जाएगी। इसके पहले चरण में गांधी मेडिकल कॉलेज में 6 बेड के बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट और 24 बेड वाले पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट तैयार होंगे।
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कोई भी कर सकता है रजिस्टर
मंत्री सारंग ने बताया कि, भारत सरकार की स्टेम सेल रजिस्ट्री में कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपने बोनमैरो को डोनेट करने के लिए स्वयं को रजिस्टर कर सकता है। इसमें स्वयं के (ऑटोलॉगस) स्टेम सेल ग्राफ्टिंग एवं अन्य व्यक्ति के (एलोजेनिक) बोनमैरो ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। इससे पहले पीड़ित मरीज के ही स्टेम सेल निकालकर क्रायो प्रिजर्व किया जाएगा।
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