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‘मेट्रो लाइन’ के किनारे बने ‘भवनों’ से कमाएगा शासन, बढ़ा सकेंगे क्षेत्रफल

MP News: मेट्रो लाइन से एक निश्चित दूरी तक लोगों को मौजूदा भवन को अधिक व अतिरिक्त जगह निकालने कानूनी तौर पर अतिरिक्त ऊंचाई तक बढ़ाने का अधिकार दिया जाएगा।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: एमपी के भोपाल शहर में मेट्रो की गति बढ़ाने के लिए शासन प्रीमियम एफएआर की मदद लेगा। ये मेट्रो की कमाई का बड़ा हिस्सा बनेगा। इसके लिए तय प्रस्ताव इसी सप्ताह मंजूर होने की स्थिति में है। ऐसा हुआ तो मेट्रो लाइन किनारे हर निर्माण के शुल्क में मेट्रो का हिस्सा होगा। इसका लाभ आम यात्रियों को किराए व अन्य सुविधाओं को बनाए रखने और बढ़ाने के रूप में दिया जाएगा।

ये हैं प्रीमियम एफएआर

मेट्रो लाइन से एक निश्चित दूरी तक लोगों को मौजूदा भवन को अधिक व अतिरिक्त जगह निकालने कानूनी तौर पर अतिरिक्त ऊंचाई तक बढ़ाने का अधिकार दिया जाएगा। एफएआर यानि क्षेत्रफल की तुलना में कितना निर्माण किया जा सकता है तय, होता है।

भोपाल में अभी ये औसत 1.25 यानी 1000 वर्गफीट का प्लॉट है तो 1250 वर्गफीट तक निर्माण की अनुमति मिलती है। इससे ज्यादा निर्माण करने के लिए दिए जाने वाला एफएआर प्रीमियम होगा और संबंधित क्षेत्र की कलेक्टर गाइडलाइन की अनुसार भुगतान करने पर अनुमति मिलेगी। इसमें ही मेट्रो के राजस्व का रास्ता खोला जाएगा। अधिकांश मेट्रो इसका उपयोग कर रही है। भोपाल में भी इसके लिए राह बनाई जा रही है।

इसलिए जरूरी

मेट्रो का रोजाना का खर्च महज 6.22 किमी ट्रैक पर ही ट्रेन संचालन का प्रति किमी. 12 हजार से 15 हजार रुपए तक है। 15 रुपए न्यूनतम किराया तय होता है तो भी ये खर्च निकालना मुश्किल है। ऐसे में मेट्रो का संचालन करने अन्य स्त्रोत से आय जुटाई जाती है। इसमें प्रीमियम एफएआर बड़ा स्त्रोत है।

मेट्रो लाइन के आसपास एक निश्चित दूरी तक अतिरिक्त एफएआर का प्रावधान किया जा रहा है। जल्द ही इसे लागू करेंगे।- श्रीकांत बनोठ, आयुक्त टीएंडसीपी