
High Court's stay on transfers done due to political pressure and personal animosity in MP
मध्यप्रदेश में हाल ही में सभी विभागों में व्यापक तौर पर तबादले किए गए। इनमें भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद भी खुलकर चला। पॉलिटिकल प्रेशर और निजी द्वेषवश ट्रांसफर किए जाने के आरोप जमकर लगाए गए। ऐसे तबादलों पर हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने पॉलिटिकल प्रेशर और निजी द्वेषवश किए गए दो अलग अलग स्थानांतरणों पर रोक लगाते हुए इनके ट्रांसफर आर्डर्स पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट के इन फैसलों से उन अधिकारियों और कर्मचारियों को खासी राहत मिली है जिन्हें नेता या उनके गुर्गे ट्रांसफर का डर दिखाकर अनुचित काम कराने की कोशिश करते हैं।
रायसेन जिले के उदयपुरा के गवर्नमेंट कॉलेज के प्राचार्य भगवान दास खरवार का राजनैतिक दबाव में जून में विदिशा ट्रांसफर कर दिया गया था। जबलपुर हाइकोर्ट ने इस पर स्टे कर दिया। इसी तरह विदिशा के तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. योगेश तिवारी द्वारा निजी द्वेषवश स्टोरकीपर का गंजबासौदा ट्रांसफर कर दिया। हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इसपर रोक लगा दी है।
गवर्नमेंट कॉलेज, उदयपुरा के प्राचार्य भगवान दास खरवार का ट्रांसफर 7 जून को विदिशा कर दिया गया था। उन्होंने जबलपुर हाइकोर्ट में ट्रांसफर आदेश को चुनौती दी। कोर्ट को बताया कि यह पूरी तरह राजनीतिक दबाव में किया गया तबादला है।
भगवान दास खरवार ने अपनी याचिका में कहा कि राजनीतिक दल की छात्र इकाई कॉलेज के ही कुछ द्वेष भाव रखने वाले प्राध्यापकों के साथ मिलकर नियम विरुद्ध गतिविधियों कर रही थी। मैंने इसकी शिकायत पुलिस और प्रशासन को की जिसके परिणामस्वरूप पॉलिटिकल प्रेशर में मेरा ट्रांसफर कर दिया गया। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ट्रांसफर आदेश को स्थगित कर दिया। इसके साथ ही उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कुछ ऐसा ही मामला विदिशा जिला अस्पताल में पदस्थ रहे आरपी मिश्रा का है। उनका गंजबासौदा ट्रांसफर कर दिया था।
मिश्रा ने हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका लगाई जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनके तबादले पर रोक लगा दी है। आरपी मिश्रा ने आरोप लगाया कि विदिशा के तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. योगेश तिवारी ने निजी द्वेषवश उनका तबादला किया था। मिश्रा के मुताबिक डॉ. तिवारी ने उन्हें परेशान करने और अपने करीबी कर्मचारी को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रांसफर ऑर्डर जारी करवाया।
कोर्ट ने प्राथमिक रूप से तबादला आदेश की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसपर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब भी मांगा है।
Published on:
20 Jul 2025 05:39 pm
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