
ramraksha strotra on navratri
भोपाल। हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व का विशेष महत्व है। इसे हर्ष उल्लास और अपने सभी सपनों को पूर्ण करने के साथ माता आदिशक्ति की कृपा पाने का पर्व माना जाता है।
इस दौरान रामरक्षास्त्रोत का भी विशेष महत्व माना जाता है, वैसे तो रामरक्षास्त्रोत पाठ को कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन कहा जाता है कि रामरक्षास्त्रोत के पाठ की शुरूआत नवरात्रि से ही की जानी चाहिए, ऐसा करने से आपको हर मुश्किल में सफलता दिलाने में मदद मिलती है।
रामरक्षास्त्रोत का महत्व...
नवरात्रि में रामरक्षास्त्रोत के महत्व के संबंध में पंडित सुनील शर्मा बताते हैं कि यदि हम रामायण पढ़े तो पता चलता है कि स्वयं श्रीराम ने भी रावण से युद्ध के पूर्व मां दुर्गा को प्रसन्न कर उनसे शक्ति मांगी थी।
और चुंकि रामरक्षास्त्रोत स्वयं एक रक्षा कवच है अत: नवरात्रि में इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। साथ ही इस रक्षास्त्रोत की नवरात्रि में ही शुरूआत करने से इसका अत्यधिक लाभ मिलने के साथ ही फल भी जल्द मिलता है। एक खास बात ये भी है कि इस पाठ को हर दिन करना होता है।
श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ:
मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने वालों का श्रीराम द्वारा रक्षण होता है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने बुधकौशिक ऋषि को स्वप्न में दर्शन देकर, उन्हें रामरक्षा सुनाई और प्रात:काल उठने पर उन्होंने वह लिख ली। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में है ।
इस स्तोत्र के नित्य पाठसे घर की सर्व पीडा व भूतबाधा भी दूर होती है। वहीं यह भी माना जाता है कि जो इस स्तोत्र का पाठ करेगा वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी तथा विनय संपन्न होगा’, ऐसी फलश्रुति इस स्तोत्रमें बताई गई है ।
इसके अलावा इस स्तोत्र में श्रीरामचंद्र का यथार्थ वर्णन, रामायण की रूपरेखा, रामवंदन, रामभक्त स्तुति, पूर्वजों को वंदन व उनकी स्तुति, रामनाम की महिमा इत्यादि भी हैं।
रामरक्षास्त्रोत के दौरान इन बातों का रखे खास ख्याल...
नवरात्रि पर रामरक्षास्त्रोत शुरू करने का अपना ही महत्व है, इस दौरान इस स्त्रोत का लगातार पाठ करने से माना जाता है कि सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
वहीं रामरक्षास्त्रोत के दौरान कुछ खास बातें भी ध्यान में रखना ज्यादा श्रेयकर माना गया है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार रामरक्षास्त्रोत का पाठ करते समय भक्त को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह जिस श्लोक का पाठ कर रहा है, उसके मन में श्रीराम की वहीं स्थिति होने चाहिए।
जैसे...
श्लोक:श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणम् प्रपद्ये ।।२९।।
यानि इसी रूप में मतलब राम के चरणों का ध्यान इस दौरान मन वचन से रहे व स्वयं को उनके आगे नतमस्तक महसूस करते हुए उनकी शरण की अनुभूति करें।
श्लोक : दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य, वामे तु जनकात्मजा । पुरतो मारुतिर्यस्य, तं वन्दे रघुनन्दनम् ।।३१।।
यानि इस मंत्र का पूजन करते समय श्रीराम के दक्षिण भाग में लक्ष्मण व वाम ओर माता सीता आदि का श्लोक के अनुसार मन में ध्यान लाएं।
नवरात्रि में शुभ फल देते हैं श्रीराम के 10 सरलतम मंत्र:
पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक राम नाम की शक्ति अपरिमित है। इसी के चलते नवरात्रि में रामचरित मानस, वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड आदि के अनुष्ठान की परंपरा रही है। मंत्रों का जाप भी किया जाता है। उन्हें या उनमें से किसी एक के करने पर इच्छापूर्ति नि:संदेह पूर्ण होगी।
(1) 'राम' यह मंत्र अपने आप में पूर्ण है तथा शुचि-अशुचि अवस्था में भी जपा जा सकता है। यह तारक मंत्र कहलाता है।
(2) 'रां रामाय नम:' यह मंत्र राज्य, लक्ष्मी पुत्र, आरोग्य व विपत्ति नाश के लिए प्रसिद्ध है।
(3) 'ॐ रामचंद्राय नम:' क्लेश दूर करने के लिए प्रभावी मंत्र है।
(4) 'ॐ रामभद्राय नम:' कार्य की बाधा दूर करने के लिए अवश्व प्रभावी है।
(5) 'ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा' प्रभु कृपा प्राप्त करने व मनोकामना पूर्ति के लिए जपने योग्य है।
(6) 'ॐ नमो भगवते रामचंद्राय' विपत्ति-आपत्ति के निवारण के लिए जपा जाता है।
(7) 'श्रीराम जय राम, जय-जय राम' इस मंत्र का कोई सानी नही है। शुचि-अशुचि अवस्था में जपने योग्य है।
(8) श्रीराम गायत्री मंत्र 'ॐ दशरथाय नम: विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।' यह मंत्र समस्त संकटों का शमन करने वाला तथा ऋद्धि-सिद्धि देने वाला माना गया है।
(9) 'ॐ नम: शिवाय', 'ॐ हं हनुमते श्री रामचंद्राय नम:।' यह मंत्र एक-साथ कई कार्य करता है। स्त्रियां भी जप सकती हैं। साधारणतया हनुमानजी केे मंत्र उग्र होते हैं। शिव व राम मंत्र के साथ जप करने से उनकी उग्रता समाप्त हो जाती है।
(10) 'ॐ रामाय धनुष्पाणये स्वाहा:' शत्रु शमन, न्यायालय, मुकदमे आदि की समस्या से मुक्ति के लिए प्रशस्त है।
रामरक्षास्तोत्र, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण इत्यादि के जप कर अनुष्ठान रूप में लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
श्री हनुमानजी व भगवान राम का चित्र सामने लाल रंग के वस्त्र पर रखकर पंचोपचार पूजन कर जप किया जाना चाहिए। यही सरल व लौकिक विधि है।
ये 10 चमत्कारी दोहे, जो देते हैं हर तरह के वरदान :
हिंदु धर्म में रामनवमी के त्यौहार की महत्वता है और इसे पूरे भारत में बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। वहीं रामनवमी के पावन पर्व पर रामचरितमानस का पाठ करने से हर परेशानियां दूर होती है और मन की इच्छा भी पूर्ण होती है।
रामचरितमानस के दोहे, चौपाई और सोरठा से इच्छापूर्ति की जाती है, जो अपेक्षाकृत सरल है। रामचरितमानस के 10 चमत्कारी दोहे, जो हर तरह के वरदान देते हैं...
(1) मनोकामना पूर्ति व सर्वबाधा निवारण के लिए-
'कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।'
(2) भय व संशय निवृत्ति के लिए-
'रामकथा सुन्दर कर तारी।
संशय बिहग उड़व निहारी।।'
(3) अनजान स्थान पर भय के लिए मंत्र पढ़कर रक्षारेखा खींचे-
'मामभिरक्षय रघुकुल नायक।
धृतवर चाप रुचिर कर सायक।।'
(4) भगवान राम की शरण प्राप्ति हेतु-
'सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।'
(5) विपत्ति नाश के लिए-
'राजीव नयन धरें धनु सायक।
भगत बिपति भंजन सुखदायक।।'
(6) रोग तथा उपद्रवों की शांति के लिए-
'दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।'
(7) आजीविका प्राप्ति या वृद्धि हेतु-
'बिस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत असहोई।।'
(8) विद्या प्राप्ति के लिए-
'गुरु गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब आई।।'
(9) संपत्ति प्राप्ति के लिए-
'जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।'
(10) शत्रु नाश के लिए-
'बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।'
कुछ खास टोटके...
1. सरसों के दाने एक कटोरी में दाल लें। कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए। राम रक्षा मन्त्र को 11 बार पढ़ें और इस दौरान आपको अपनी उंगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहें।
ध्यान रहे कि इस दौरान आप किसी आसन पर बैठे हों और राम रक्षा यंत्र आपके सम्मुख हो या फिर श्रीराम कि प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मंत्र का जाप करना है।
माना जाता है कि ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जाती है और आप उस सरसों के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें। इसके बाद जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें। इससे सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
- वाद विवाद या मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दाने साथ लेकर जाएं और वहां डाल दें जहां विरोधी बैठता है या उसके सम्मुख फेंक दें। माना जाता है ऐसा करने से सफलता आपके कदम चूमेगी।
- खेल या प्रतियोगिता या साक्षात्कार में आप सिद्ध सरसों को साथ ले जाएं और अपनी जेब में रखें।
- अनिष्ट की आशंका हो तो भी सिद्ध सरसों को साथ में रखें।
- यात्रा में साथ ले जाएं आपका कार्य सफल होगा।
2. राम रक्षा स्त्रोत से पानी सिद्ध करके रोगी को पिलाया जा सकता है परन्तु पानी को सिद्ध करने कि विधि अलग है।
इसके लिए तांबें के बर्तन को केवल हाथ में पकड़ कर रखना है और अपनी दृष्टि पानी में रखें और महसूस करें कि आपकी सारी शक्ति पानी में जा रही है। इस समय अपना ध्यान श्रीराम की स्तुति में लगाये रखें। मंत्र बोलते समय प्रयास करें कि आपको हर वाक्य का अर्थ ज्ञात रहे।
चैत्र नवरात्रि के चार अचूक चमत्कारी मंत्र और उनका फल:
नवरात्रि में देवी की पूजा पूरी श्रद्धा-भक्ति से हर कोई करना चाहता है, ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे। लेकिन समयाभाव के कारण कई बार पूजा उतनी विधि विधान से नहीं हो पाती जितनी कि अपेक्षित है।
इस संबंध में सुनील शर्मा का कहना है कि 4 ऐसे दिव्य मंत्र जिनमें से किसी एक का भी जप 9 दिनों में कर लिया जाए तो व्रत का शुभ फल मिलता है।
1. दुर्गा मंत्र -
ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः।
मंत्र का फल – सभी प्रकार की सिद्धियों के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है। शक्तिमान, भूमिवान बनने के लिए इस मंत्र का प्रयोग कर लाभ पा सकते हैं।
2. सरस्वती गायत्री मंत्र -
ॐ ऐं वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्।
मंत्र का फल – उपरोक्त मंत्र के जाप से विद्या की प्राप्ति में सफलता मिलती है।
3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र -
ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।
मंत्र का फल – उपरोक्त मंत्र जाप करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
4. मां बगुलामुखी मंत्र -
ॐ ह्रीं बगुलामुखी सर्व दुष्टानांम् वाचम् मुखम् पद्म स्तंभय जिह्वाम् किल्य किल्य ह्रीं ॐ स्वाहा।
मंत्र का फल – यह मंत्र तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
Updated on:
11 Apr 2019 01:19 am
Published on:
09 Mar 2018 06:29 pm
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