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बचना चाहते हैं महंगाई की मार से तो ये तरीके हैं बेहद खास, नहीं पड़ेगा आप पर कोई असर

locationभोपालPublished: Aug 31, 2019 05:44:14 pm

ऐसे उपाय जिनकी मदद से रिटायरमेंट के बाद भी सुखद जीवन बिता सकेंगे…

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भोपाल। आज हर कोई महंगाई की मार से परेशान बना हुआ है। चाहे बिजली का बिल हो, मकान बनवाना हो या यहां तक बाजार से सब्जी या कुछ और लाना हो तब भी…
वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था में मंदी यानि आर्थिक शिथिलता ( recession) की बात भी लगातार सुनने में सामने आ रही है। ऐसे में आम आदमी का जीवन दुर्भर होता जा रहा है।
जानकारों का भी मानना है कि भविष्य को संवारने के लिए हर कोई कड़ी मेहनत तो करता है, लेकिन महंगाई के इस दौर में अधिकतर लोगों के सामान्य सपने तक पूरे नहीं हो पाते।
ऐसा क्यों है इस संबंध में हम जब भी सोचते हैं तो कई बार इसका या तो जवाब ही नहीं मिल पाता या यूं कहें कई बार इस सब बातों का ठिकरा हम सरकार पर फोड़ देते हैं।
वहीं फाइनेंस के जानकार आशीष मिश्रा बताते है कि दरअसल हम एक जगह पर अकसर चूक जाते हैं और वो है बचत। हम अपने भविष्य के लिए सोचते तो बहुत हैं लेकिन बचत नहीं कर पाते।
मिश्रा के मुताबिक बचत कर भविष्य के लिए हम एक ऐसी पूंजी तैयार कर सकते हैं, जिसकी मदद से हम रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। अपना घर खरीदना, बच्चों की उच्च शिक्षा और उनकी शादी हमारे लिए जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी है बचत। इसके लिए हमें अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए।

मिश्रा का कहना है कि कुछ ऐसे उपाय मौजूद हैं, जिनकी मदद से हम रिटायरमेंट के बाद भी सुखद जीवन बिता सकेंगे। ऐसे में खुद के लिए रिटायरमेंट पूंजी तैयार करने के टिप्स आपके काफी काम आ सकते हैं।
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1. NBFC यानि Non Banking Financial Company में करें निवेश:
यदि आप कम अवधि की फिक्सड डिपॉजिट (एफडी) पर अधिक ब्याज पाना चाहते हैं, तो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में निवेश एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले कंपनी डिपॉजिट में पैसा जमा करना आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। बैंक डिपॉजिट की तुलना में कंपनी डिपॉजिट से आपको ज्यादा ब्याज मिलता है।
बता दें कि डिपॉजिट के जरिए पैसे जुटाकर कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाती हैं। कंपनियों के लिए ये एक तरह का अनसिक्योर्ड लोन होता है। यानी डिफॉल्ट की स्थिति में निवेशकों को कोई गारंटी नहीं मिलती हैं।
कंपनी डिपॉजिट में एफडी की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है। लेकिन ज्यादा ब्याज से ये ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने में सफल हो जाता है। ये उन लोगों के लिए है जिन्हें नियमित आय चाहिए। बता दें कि एफडी और कंपनी डिपॉजिट दोनों ही 10 वर्षों तक के लिए कराई जा सकती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में कंपनी डिपॉजिट पर आपको 50 से 100 बीपीएस (ब्याज दर का एक मापक) ज्यादा मिलता है। एनबीएफसी अपने कॉपोर्रेट डिपॉजिट पर 7.7 फीसद से आठ फीसदी तक ब्याज देता है। लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये दर 7.95 से 8.25 फीसदी के बीच है।
2. म्यूचुअल फंड : mutual fund
माना जाता है कि पीपीएफ और फिक्स डिपॉजिट और इनके फायदों के बारे में तो सबको पता है। मौजूदा समय में इनकी ब्याज दरें लगातार घटती जा रही हैं।
ऐसे में एक और विकल्प है, जो आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हम बात कर रहे हैं म्यूचुअल फंड की। आज म्यूचुअल फंड्स ने ऐसे कई रास्ते खोले हैं जिससे हम वो हर सपने पूरा कर सकते हैं जिन्हें हमने हमेशा से ही पूरा करना चाहा था। इन्हीं रास्तों में से एक है एसआईपी ( SIP ) …
अपने सपनों को पूरा करने का सबसे आसान तरीका है दीर्घकालीन और नियमित निवेश। म्यूचुअल फंड्स द्वारा प्रस्तावित SIP या सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान नियमित रूप से निवेश करने का एक सुलभ और भरोसेमंद तरीका है, जिसके तहत आप 500 रुपये प्रतिमाह से भी निवेश कर सकते हैं।
मतलब अपने मासिक खर्च पर बिना किसी अतिरिक्त बोझ के अपने सपनों को पूरा कर सकते है। निवेश की राशि भले ही छोटी हो पर SIP लंबे समय में धीरे-धीरे धन संचयित करने की आसान व्यवस्था है।
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म्यूचुअल फंड्स SIP निवेश से आप चक्रवृद्धिता का भी लाभ उठा सकते हैं, अर्थात पहले महीने का आपका मुनाफा आपके अगले महीने के मूलधन में जुड़ जाता है जिससे आपका निवेश बढ़ता जाता है और आपका फायदा भी। जितने ज्यादा समय तक आप SIP में निवेश करेंगे, उतना ही ज्यादा फायदा आपको मिल सकता है। इसलिए लंबे समय तक SIP के जरिये निवेश करने से आपको धन संचय करने में मदद मिलती है।
एसआईपी शुरू करने के लिए सही समय का इंतजार नहीं करना होता, जितना जल्दी शुरू करेंगे उतना फायदा होने की संभावना होती है। जितने बड़े सपने उतनी अवधि का निवेश। तो बस सपने देखते रहिए और निवेश करते रहिए। यह आपके निवेश पर अधिक रिटर्न प्रदान कर सकते हैं। यहीं कारण हैं जिनकी वजह से म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
3. ऐसे समझें जीपीएफ ( GPF )
जीपीएफ के सदस्य केवल सरकारी कमर्चारी होते हैं। यह ब्याज दर केंद्र सरकार के कर्मचारियों, रेलवे, रक्षा बलों की भविष्य निधि, इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्ररीज के कर्मचारियों के भविष्य निधि पर लागू होगी। जीपीएफ में सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का एक हिस्सा निवेश करते हैं, जिसका रिटर्न उन्हें रिटायरमेंट के समय मिलता है।
जुलाई में केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) पर ब्याज दरों में कमी की थी। 10 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद अब जीपीएफ में जमा राशि पर 7.9 फीसदी ब्याज मिलता है।
इससे पहले सरकार ने पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए यह ब्याज दर बढ़ाई थी। तब से इनमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया था।

4. ईटीएफ ( ETF ) के भी हैं फायदे
गोल्ड ईटीएफ परियोजनाओं की संपत्तियां चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में बढ़कर 5,079.22 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। 2012 में उच्चतम स्तर छूने के बाद लंबे समय से निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ में निवेश से दूरी बनाई थी।
हालांकि, सोने की कीमतें बढ़ने के साथ इस साल इसमें सुधार की प्रवृत्ति देखी जा रही है। ETF को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड कहते हैं जो निवेश का एक सरल माध्यम है। इसकी खरीद-फरोख्त अन्य शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंज में ही होती है।
लेकिन इसे स्टॉक एक्सचेंज में खरीद-बिक्री की सुविधा वाला फंड भी कहा जाता है। यह किसी इंडेक्स या कई एसेट्स के समूह को ट्रैक करता है। पूरे दिन कारोबार होने से इसकी भी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जाता है। बेहतर लिक्विडिटी होने की वजह से इसे कभी बेचा जा सकता है।
ऐसे करता है काम
ईटीएफ किसी इंडेक्स या एसेट को ट्रैक करता है। अगर कोई ईटीएफ बीएसई सेंसेक्स को ट्रैक करता है तो यह अपने फंड का निवेश सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों के शेयरों में करेगा। यह निवेश उसी अनुपात में होगा, जितना हर कंपनी का सेंसेक्स में वेटेज होगा। आपके इस ईटीएफ में निवेश करने पर एसेट मैनेजमेंट कंपनी आपको निवेश के मूल्य के हिसाब से यूनिट्स जारी कर देगी।
5. एफडी यानि फिक्स डिपॉजिट : Fixed deposit …
यदि आप अपनी बचत पर अधिक ब्याज कमाना चाहते हैं, तो फिलहाल सावधि जमा (एफडी) योजनाओं में निवेश भी एक अच्छा विकल्प है। देश में बैंक मुख्य रूप से दो तरह के डिपॉजिट खाते ऑफर करते हैं।
करंट या सेविंग खाता डिमांड डिपॉजिट्स कहलाते हैं जबकि फिक्स्ड या रेकरिंग डिपॉजिट्स को टर्म डिपॉजिट्स कहा जाता है। सेविंग अकाउंट बार-बार की जरूरतों के लिए खुलवाया जाता है तो फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी के तहत जमा धन को एक निश्चित समय तक छोड़ना पड़ता है। इस अवधि में बैंक जमा रकम पर ब्याज देता है।
बाजार में निवेश के तमाम आधुनिक विकल्प मौजूद होने के बावजूद आज भी बैंक में फिक्स डिपॉजिट करना सबसे आसान और सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। इसमें निवेशक को तय अंतराल पर निश्चित रिटर्न मिलना तय होता है, साथ ही बाजार के उतार-चढ़ाव का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता।
फिक्स डिपॉजिट करवाने के फायदे…
किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में एफडी कराने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसमें किसी तरह का रिस्क नहीं रहता। एफडी में वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज दर भी सामान्य से ज्यादा होती है।
इसके अलावा एफडी की समय अवधि समाप्त होने के बाद निवेशक को पूरी राशि ब्याज सहित वापस मिल जाती है। बैंकों की एफडी की दर समय दर समय बदलती रहती है। आमतौर पर सभी बैंक एफडी पर 8-12 फीसदी तक निश्चिच रिटर्न देते हैं।
6. आरडी यानि रिकरिंग डिपॉजिट : RD / Recurring Deposit
अगर आपके पास फंड की कमी हो गई है और आप उधार नहीं लेना चाहते हैं, तो इसको आप अपने पुराने किए हुए निवेश से भी पूरा कर सकते हैं। इसके लिए रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
वहीं अगर आपका ऐसा कोई खाता नहीं है और आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो आप इससे भी पैसा निकाल सकते हैं। लेकिन आपको इससे पैसा निकालने पर बहुत ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा। हो सके तो क्रेडिट कार्ड से निकाले गए पैसे का जल्द से जल्द भुगतान भी कर दें।
आरडी में निवेश कर आपको साधारण बचत खातों से ज्यादा ब्याज मिल सकता है। बचत खातों में आमतौर पर 3.5 से चार फीसदी रिटर्न मिलता है। वहीं आरडी में आपको सात से आठ फीसदी सालाना रिटर्न मिल सकता है। खास बाद यह है कि आरडी के जरिए आपका पैसा सुरक्षित रहता है।
आरडी में मूल जमा राशि और ब्याज आमदनी की गारंटी दी जाती है, जो बुकिंग के वक्त की ब्याज दरों के हिसाब से मिलती है। इसके बाद जमा अवधि के दौरान कार्ड रेट में कोई बदलाव होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
ऐसे समझें : मान लीजिए अगर आप एक वर्ष की अवधि के लिए छह फीसदी प्रति वर्ष की दर से एक आरडी खुलवाते हैं, तो यह ब्याज दर पूरी अवधि तक बरकरार रहेगी और इस बीच आपके बैंक की ब्याज दरों में कोई बदलाव होने पर आपकी जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज आमदनी में बदलाव नहीं होगा।
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