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EMOTION : ऐसे ही बेवफा नहीं हुए सिंधिया, इन दो तारीखों में छिपा है इसका राज

बीजेपी में शामिल होते ही दुखी मन से सिंधिया ने बताया दो तारीखों को खास, जानिए इसका राज

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EMOTION : ऐसे ही बेवफा नहीं हुए सिंधिया, इन दो तारीखों में छिपा है इसका राज

भोपाल/ मंगलवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद आज बुधवार को दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी की सदस्यता ले ली। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने भगवा गमछा पहनाकर सिंधिया का भाजपा में स्वागत किया। भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी के सभी आला नेताओं धन्यवाद व्यक्त किया। अपनी बात रखने के दौरान सिंधिया ने भावुक मन के साथ दो तारीखों का जिक्र किया, जिन दो तारीखों को उन्होंने अपने जीवन पर गहरा असर डालने वाली बेहद खास बताया।

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जानिए उन दो तारीखों का राज

तारीखों का जिक्र करते हुए सिंधिया काफी भावुक नजर आए, यू भी कह सकते हैं कि, इस दौरान वो दुखी भी नजर आए। पहली तारीख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, पहली तारीख 30 सितंबर 2001 है, जिस दिन उनके पिता स्व. माधव राव सिंधिया का निधन हुआ था। उन्होंने कहा कि, वो उस दिन बेहद दुखी थे, क्योंकि उस दिन उनके पिता उनका साथ छोड़ गए थे। इसीलिए उस तारीख का गहरा असर उनके जीवन पर है और ये बात हमारे सामने कई बार आ चुकी है कि, वो अपने पिता माधव राव सिंधिया को लेकर हमेशा भावुक हो जाते हैं। इसके बाद अगली खास तारीख का जिक्र करते हुए सिंधिया ने कहा कि, वो तारीख है 10 मार्च यानी वो दिन जब ज्योतिरादित्य ने पूरी तरह कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। हालांकि, ये दिन उनके लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन माधवराव सिंधिया का 75वां जन्मदिवस भी था।

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ये है अंदर की बात

लेकिन सांकेतिक रूप से सिंधिया उस खास दिन का इशारा कांग्रेस का साथ छोड़ने से भी कर रहे थे। क्यंकि, इसी दिन उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को इस्तीफा दिया था। हालांकि, ये इस्तीफा उन्होंने एक दिन पहले ही तैयार कर लिया था, लेकिन औपचारिक तौर पर इसे 10 मार्च को ही जारी किया। यानी कहीं न कहीं सिंधिया कांग्रेस का साथ छोड़ने से दुखी भी थे। अपनी बात में भी आगे उन्होंने कहा था कि, उन्होंने कांग्रेस पार्टी में रहकर 18 साल प्रदेश की सेवाएं दीं। लेकिन, मौजूदा समय में कांग्रेस वो पार्टी नहीं बची, जिससे जुड़कर आगे देश सेवा जारी रखी जा सके। इसलिए उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला लिया।

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पिता की भावनाओं से जुड़ी ये भी है एक खास बात

दिल्ली का बंगला बचाने में कमलनाथ ने सिंधिया की मदद नहीं की। उन्हें जो सरकारी बंगला मिला था वो लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद उन्हें खाली करना पड़ा। इस बंगले से सिंधिया का बेहद लगाव था। क्योंकि, माधवराव सिंधिया भी इसी बंगले में रहते थे। ज्योतिरादित्य चाहते थे कि दिल्ली में राज्यों के कोटे से जो बंगला हैं, उन्हें मध्य प्रदेश कोटे से रखने की अनुमति मिल जाए, लेकिन कमलनाथ ने सिंधिया की इन बातों को कोई तवज्जो नहीं दी। कमलनाथ की इस बेगौरी का गहरा असर सिंधिया पर पड़ा। हालांकि, बीजेपी में शामिल होने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि, वो अब इस सरकारी बंगले को वापस ले सकते हैं।

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बीजेपी में शामिल होते ही प्रदेश सरकार पर हमला

सिंधिया ने आरोप लगाए कि, पिछले 18 महीनों से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन इतने समय में उन्हें कई बार साइड किया गया, जिसके चलते उन्होंने बीजेपी के साथ जुड़कर देशऔर प्रदेश की सेवा करने का निर्णय लिया है। भाजपा में शामिल होते ही अपनी बात के दौरान सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर कई हमले भी किये। उन्होंने कहा कि, प्रदेश सरकार ने वहां की जनता, खासकर किसानों के साथ धोखा किया। साथ ही, मंदसौर आंदौलन के कई बेगुनाहों पर से कैस वापस लेने की प्रक्रिया भी अब तक शुरु नहीं की गई। ऐसी ही कई बातों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने का निर्णय लिया।