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Leap Day Special : 366 दिन का क्यों होता है लीप ईयर? जानिए कारण और रोचक तथ्य

locationभोपालPublished: Feb 29, 2020 01:46:58 pm

Submitted by:

Faiz

आपको पता है कि, 29 फरवरी यानी लीप डे चार साल में ही क्यों एक बार आता है। इसके पीछे कारण और तथ्य क्या हैं?

Leap Day Special : 366 दिन का क्यों होता है लीप ईयर? जानिए कारण और रोचक तथ्य

Leap Day Special

भोपाल/ ये बात तो हम सभी जानते हैं कि, हर चार साल में एक बार फरवरी माह 28 दिनों के बजाय 29 दिन का होता है। ये बात भी कई लोगों को पता है कि, इन 29 दिनों के कारण ये साल 366 दिन का हो जाता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि, 29 फरवरी यानी लीप डे चार साल में ही क्यों एक बार आता है। इसके पीछे कारण और तथ्य क्या हैं? तो आइये आज हम इसके पीछे की रोचक बातों के बारे में जानेंगे।

 

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स्पेशल होता है लीप डे

आज 29 फरवरी यानी लीप डे है। हर व्यक्ति को इस तारीख का ध्यान होता है। कभी न कभी हम इसके संबंध में चर्चा भी करते हैं। हर चार साल में एक बार फरवरी माह 29 दिनों का होता है। आज के बाद ये दिन चार साल बाद यानी 2024 में आएगा। लीप ईयर में साल के दिन 366 होते हैं।

 

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लीप ईयर का वैज्ञानिक कारण

ये बात तो हमें पता ही है कि, पृथ्‍वी अपनी धुरी पर सूरज के चक्‍कर लगाती है। इसे पूरा एक चक्‍कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे लगे हैं। लेकिन, हम कभी साल को 365 दिन 6 घंटे से नहीं आंकते, क्योंकि दिन 6 घंटे का नहीं होता। इसलिए ये 6-6 चौथी बार में 24 घंटे हो जाता है। जो पूरे एक दिन के समान हो जाता है। इसलिए हर चार से में एक बार फरवरी माह 29 दिन का हो जाता है। ऐसा करके पृथ्वी द्वारा लगाए गए सूरज के चक्कर को संतुलित किया जाता है।

 

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कैसे पता करते हैं लीप ईयर, क्‍या है नियम

आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह कैसे पता किया जाता होगा कि कोई साल लीप ईयर है या नहीं। किसी भी साल को लीप ईयर होने के लिए इन दो कंडीशन को पूरा करना जरूरी होता है। पहला यह कि उस वर्ष विशेष को चार की संख्‍या से भाग दिया जा सकता है। जैसे 2000 को 4 से डिवाइड किया जा सकता है। इसी तरह 2004, 2008, 2012, 2016 और अब यह नया साल 2020 भी इसी क्रम में शामिल है। दूसरी बात यह कि अगर कोई वर्ष 100 की संख्‍या से डिवाइड हो जाए तो वह लीप ईयर नहीं है लेकिन अगर वही वर्ष पूरी तरह से 400 की संख्‍या से विभाजित हो जाता है तो वह लीप ईयर कहलाएगा। उदाहरण के लिए, 1300 की संख्‍या 100 से तो विभाजित हो जाती है लेकिन यह 400 से विभाजित नहीं हो सकती है। इसी तरह 2000 को 100 से डिवाइड किया जा सकता है लेकिन यह 400 से भी पूरी तरह डिवाइड हो जाता है, इसलिए यह लीप ईयर कहलाएगा।

 

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हमारी जिंदगी पर पड़ता है यह असर

ये सवाल भी स्‍वाभाविक है कि इस गणितीय और खगोलीय गणना का हमारे जीवन से क्‍या कनेक्शन है। आइये बताते हैं। जिन लोगों का जन्‍म 29 फरवरी को आता है, वे अपना वास्‍तविक जन्‍मदिन 4 साल में ही एक बार मना पाते हैं। हालांकि सांकेतिक रूप से वे 28 फरवरी को अपना जन्‍मदिन मना लेते हैं, लेकिन सरकारी कागजों में, कानूनी दस्‍तावेजों में तो ये 29 फरवरी को ही आधिकारिक जन्मदिवस के रूप में दर्ज कराते हैं। मजे की बात यह है कि 29 फरवरी को जन्‍मे व्‍यक्ति को अपना वास्‍तविक 25वां जन्‍मदिन मनाने के लिए पूरे 100 साल का होना पड़ेगा। इसी तरह हर साल 28 फरवरी तक काम करके पूरे महीने का वेतन लेने वाले कर्मचारियों को इस महीने एक दिन अतिरिक्‍त काम करना होता है। हालांकि, यह 30 और 31 दिनों के महीनों के मुकाबले फिर भी एक दिन कम है।

 

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चीन में मनाते हैं तीन साल में एक बार लीप ईयर

चीन के लीप ईयर को लेकर कुछ अलग तर्क हैं। इसलिए वहां तीन सालों में ही एक बार लीप ईयर मनाया जाता है। एक तरफ जहां आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर 29 फरवरी को हर चार साल में सिर्फ एक लीप दिन से जोड़ता है, वहीं चीनी लोग तीसरे साल में ही लीप की अवधि के महीने को जोड़ देते हैं। यहां लीप के महीने का नाम पिछले लुनार मंथ यानी चंद्रमा के महीने के नाम के समान ही होता है। ये लीप महीना चीनी कैलेंडर में शामिल किया जाता है। यहां लगभग हर तीन साल (19 साल में 7 बार), चीनी कैलेंडर में एक लीप महीना जोड़ा जाता है। यह पता करने के लिए एक वर्ष में 11 वें महीने और अगले वर्ष में 11 वें महीने के बीच नए चंद्रमाओं की संख्या पता करना होती है।

 

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कब शुरू हुआ लीप ईयर का सिस्टम

पहली बार 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर सिस्‍टम के अंतर्गत चार साल में एक लीप डे का सिद्धांत लागू किया गया। उस तरीके से हर चौथे साल में लीप डे जोड़ने पर कई शताब्दियों के दौरान कैलेंडर में विसंगति पैदा होने लगी।

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