29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rewind 2024: एमपी की राजनीतिक घटनाएं जिसने साल भर बटोरी सुर्खियां

Rewind 2024: मध्य प्रदेश में साल 2024 के अंतिम दिन जानें वह राजनीतिक घटनाएं जो रही सालभर की हाईलाइट।

3 min read
Google source verification

भोपाल

image

Akash Dewani

Dec 31, 2024

Rewind 2024: एमपी की राजनीतिक घटनाएं जिसने सालभर बटोरी सुर्खिया

Rewind 2024: साल 2024 मध्य प्रदेश की राजनीति के लिए बड़े बदलावों और घटनाओं का गवाह रहा। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा उपचुनाव तक, पूरे साल सियासी सरगर्मियां बनी रहीं। इनमें बहुत से मामले ऐसे भी है जिसमे राज्य सरकार को भी बड़ा झटका दिया। आइए, सालभर की उन प्रमुख घटनाओं पर नज़र डालते हैं, जिन्होंने प्रदेश की राजनीति को सुर्खियों में बनाए रखा।

लोकसभा चुनाव के मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

दिसंबर 2023 में उज्जैन से विधायक डॉ.मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 20 साल बाद दोबारा सांसदी का टिकट दिया था। शिवराज ने विदिशा लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 8 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल कर बड़ा रिकॉर्ड बनाया था। मोदी सरकार 3.0 में उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया। यह मध्य प्रदेश की राजनीति को लेकर बहुत बड़ा बदलाव था जहां शिवराज 20 सालों में पहली बार मध्य प्रदेश की लोकल राजनीति से दूर हुए थे।

यह भी पढ़े- भोपाल Metro Project को लेकर एक और विवाद, दुकानदार ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु

इंदौर में कांग्रेस ने दिया वॉकओवर

लोक सभा की दूसरी सबसे बड़ी हाईलाइट इंदौर और खजुराहो लोकसभा क्षेत्र का चुनाव और उसके उम्मीदवार रहे थे। इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम ने अपना नामांकन दाखिल करने के आखरी दिन अपनी उम्मीदवारी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे कांग्रेस के पास उम्मीदवार उतारने का कोई मिला और भाजपा के शंकर लालवानी एक बार फिर बिना किसी विरोध के सांसद चुने गए।

यह भी पढ़े- MP News: साल के अंतिम दिन बड़ा सड़क हादसा, 3 मजदूरों की दर्दनाक मौत

खजुराहो में नामांकन रद्द

ऐसा ही कुछ खजुराहो लोकसभा सीट में देखने को मिला। यहां विपक्षी गठबंधन ने समाजवादी पार्टी की मीरा यादव को उम्मीदवार बनाया था लेकिन आखरी समय पर उनका नामांकन को रद्द कर दिया गया था। इससे भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा की राह आसान हो गई थी। हालांकि, विपक्षी गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्यासी आर.बी प्रजापति को समर्थन दिया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। वीडी शर्मा एक बार फिर बिना किसी परेशानी के 5 लाख से अधिक मतों से जीत गए थे।

यह भी पढ़े- माता और काल भैरव के मंदिर में तोड़फोड़, हिंदू संगठनों का आक्रोश, बड़े आंदोलन की चेतावनी

लोकसभा में क्लीन स्वीप

भाजपा ने इस बार मध्य प्रदेश की पूरी 29 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया था। भाजपा ने पिछले 2 चुनावों में 29 में से 28 सीटें अपने नाम की थी। छिंदवाड़ा एक ऐसी सीट थी जो भाजपा पिछले कई सालों से भेद नहीं सकी थी। बहरहाल, इस चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के किले को भेद दिया। भाजपा उम्मीदवार बंटी साहू ने कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को हरा दिया था।

यह भी पढ़े- एन्जॉय के मूड में मुख्यमंत्री, नाव से की नदी पार, पत्नी और मेहमानों के साथ यहां मनाएंगे नव वर्ष

बिना विधायकी के वन मंत्री

इस साल प्रदेश में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने वाले श्योपुर के रामनिवास रावत रहे थे। 6 बार कांग्रेस से विधायक, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा दामन थाम लिया था। हैरान करने वाली बात यह थी कि उन्हेँ विधायकी से इस्तीफा देने के बाद भी मंत्री का पद दिया गया। उन्हें भाजपा ने वन मंत्री बना दिया था। इसे लेकर भाजपा के कई कद्दावर नेताओं और विधायकों ने नाराजगी जताई थी।

यह भी पढ़े- Indian Railway: वंदे भारत समेत कई ट्रेनों का बदला जाएगा समय, देखें लिस्ट

उप चुनाव में पलटती दिखी बाजी

नवंबर में एक बार फिर प्रदेश में चुनाव का माहौल था। दो विधानसभा सीटों बुधनी और विजयपुर में उप चुनाव होने वाले थे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सांसद बनने के बाद बुधनी सीट और रामनिवास रावत के भाजपा में शामिल होने के बाद विजयपुर सीट खाली थी। भाजपा ने विजयपुर से वन मंत्री रामनिवास रावत और बुधनी से पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को टिकट दिया था। वहीँ कांग्रेस ने विजयपुर से मुकेश मल्होत्रा और बुधनी से राजकुमार पटेल को टिकट दिया था।

विजयपुर से तत्कालीन वन मंत्री रामनिवास रावत को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें 7000 मतों से मुकेश मल्होत्रा ने हरा दिया। यही नहीं, बुधनी में भी भाजपा को जीत के बावजूद झटका लगा। शिवराज के रहते हुए जिस सीट को भाजपा 50 हजार के ऊपर के मार्जिन से जीता करती थी वह मार्जिन अब महज 13-14 हजार रह गया था।