
खुद को सिंधिया परिवार का सेवक कहने वाले प्रद्युम्न सिंह बने शिवराज के मंत्री, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
भोपाल/ मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी सादगी और जमीनी जुड़ाव के कारण अलग पहचान रखने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर ( Pradyuman Singh Tomar ) पूर्व की कमलनाथ सरकार (kamalnath government) के बाद अब शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल ( shivraj cabinet ) में भी शामिल होने में कामयाब हो गए। उन्होंने भी आज राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष 28 विधायकों के साथ मंत्रीपद की शपथ ली। सिंधिया खेमे से आने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर कई बार खुद को सिंधिया परिवार का सेवक बता चुके हैं। कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहने के दौरान वो खुद नाले-नालियों में उतर कर गंदगी साफ करते थे। यही कारण है कि, जनता के बीच वो अलग और खास साख रखते हैं।
प्रधुम्न सिंह तोमर ने 1984 में छात्र राजनीति शुरू की थी। 1984 में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर लोकसभा से चुनाव लड़ा, तो प्रधुम्न ने युवा छात्र नेता के तौर पर प्रचार की कमान संभाली थी। इसके बाद 1990 से 2000 के बीच प्रधुम्न सिंह तोमर मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के सचिव और उपाध्यक्ष रहे। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 2090 वोट से हराया था। इसके बाद 2013 में वो बीजेपी के जयभान सिंह पवैया से 15561 वोट से हार गए थे। इसके बाद 2018 में उन्होंने एक बार फिर बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 21044 वोटों से हराकर सीट हासिल की थी। वहीं, मार्च 2020 में कांग्रेस का दामन छोड़कर वो बीजेपी में शामिल हो गए।
जन नेता की रखते हैं छवि
प्रद्युम्न तोमर कमलनाथ सरकार में मंत्री बनने के बाद भी अपने क्षेत्र की जनता से लगातार जुड़े रहे। स्थानीय समस्याओं का निराकरण करने के लिए वो खुद जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को हल करते रहे। यहीं नहीं, किसी भी जिम्मेदार द्वारा अपना काम पूरा न करने पर वो खुद उस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाते रहे। यहां तक कि, उन्होंने खुद गंदे नालों में उतरकर, टॉयलेट में जाकर या सड़कों पर झाड़ू लगाकर सफाई तक कर दी। सरल सहज स्वभाव रखने वाले प्रद्युम्न सिंह हमेशा विवादों से दूर रहना और जनता में उपलब्धता, जनप्रतिनिधियों और अफसरों के साथ शालीन बर्ताव रखना ही अपना परम धर्म समझते हैं।
प्रद्युम्न सिंह तोमर की मजबूती
प्रद्युम्न सिंह तोमर ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक कहे जाते हैं। वो कई बार खुद को सिंधिया परिवार का सेवक भी बता चुके हैं। माधवराव और ज्योतिरादित्य की सार्वजनिक चरण वंदना तक करते देखे गए हैं। 1984 में माधवराव से जुड़े तब से लेकर अब तक ज्योतिरादित्य के साथ वफादारी से साथ हैं।
Published on:
02 Jul 2020 01:53 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
