
State Information Commissioner Rahul Singh M
भोपाल। अब प्रकरणों के निपटारे के लिए लोगों को चप्पलें नहीं घिसवाना पड़ेंगी। ट्विटर और वाट्सअप पर एक शिकायत के बाद प्रकरण दर्ज कर लिया जाएगा और फोन पर ही फैसला सुना दिया जाएगा। इस फैसले से समय और लोगों का पैसा बचने लगा है।
मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ( State Information CommissionerRahul Singh ) ने अपने यह नया प्रयोग शुरू किया है। इसके मुताबिक महीनों में होने वाले काम को चंद घंटों में ही अंजाम दिया जा रहा है। सूचना आयुक्त ( Information Commissioner MP ) सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आने वाली शिकायतों का निराकरण ट्विटर और वाट्सअप के जरिए भी कर रहे हैं। उनकी यह कार्यशैली चर्चा का विषय बनी हुई है।
हाल ही में ट्विटर के जरिए रीवा जल संसाधन विभाग का प्रकरण दर्ज किया। ट्विटर पर मिली शिकायत को ही पंजीबद्ध कर सूचना आयुक्त ने दोषी अधिकारियों के खइलाफ कार्यवाही कर दी।
परेशान हो रहे थे अपीलकर्ता
अपीलकर्ता मनोज कुमार दुबे ने रीवा जिले के गोविंदगढ़ में जल संसाधन विभाग से जुड़ी जानकारी मांगी थी। उनकी अपील मुख्य अभियंता के कार्यालय ने कार्यपालन यंत्री के कार्यालय में भेज दी। इसके बाद अपीलकर्ता दुबे जब भी कार्यालय जाते, वहां उनको प्रकरण की कोई जानकारी नहीं दी जाती।
जब दुबे दफ्तर में जाते तो वहां मौजूद बाबू उनसे दो रुपए का चालन बैंक में जमा करवाने को कहता। इस पर दुबे विरोध भी करते कि दो रुपए का चालन बनाने के लिए बैंक में काफी समय लगेगा और अतिरिक्त खर्च भी लगेगा। दुबे ने मोबाइल से अधिकारी का वीडियो भी बना लिया, जिसमें अधिकारी कह रहे हैं कि हमें सूचना के अधिकार कानून से कुछ लेना-देना नहीं है। दुबे ने यह वीडियो शिकायत के साथ राज्य के सूचना आयुक्त राहुल सिंह को ट्वीट कर दिया।
छुट्टी पर ही ले लिया संज्ञान
बताया जाता है कि जब सूचना आयुक्त राहुल सिंह छुट्टी पर थे तब उन्होंने यह शिकायत देखी तो चंद मिनटों में ही संज्ञान ले लिया। उन्होंने अपने कार्यालय को इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश दे दिए। सूचना आयुक्त के निर्देश पर उनके कार्यालय ने तत्काल व्हाट्सएप के माध्यम से अपीलकर्ता से धारा-18 के तहत शिकायत का आवेदन भी प्राप्त किया। अपीलकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था किस तरह से उनको सरकारी कार्यालय में जानकारी देने के नाम पर भटकाया जा रहा है।
अधिकारियों पर लगाया दो हजार जुर्माना
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने दोषी अफसरों के खिलाफ दो हजार रुपए अपीलकर्ता को देने के आदेश जारी कर दिए, साथ ही जल संसाधन विभाग के रीवा संभाग के मुख्य अभियंता और कार्यपालन यंत्री के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई और 7500-7500 रुपए जुर्माना लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। साथ ही विभाग के एक अन्य अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन तलब किया है।
एक नहीं, कई धाराओं का उल्लंघन
सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना था कि इस प्रकरण में एक नहीं बल्कि सूचना के अधिकार कानून की कई धाराओं का उल्लंघन हुआ है। 30 दिन की समय सीमा के उल्लंघन होने के बाद अपीलकर्ता चाहे तो प्रथम अपील में ना जाकर सीधे जुर्माने और अनुशासनिक कार्रवाई के लिए धारा-18 के तहत सूचना आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
दूसरे मामले में भी फोन से किया निपटारा
उधर, रीवा के ही टीपी तिवारी ने 2016 में शासकीय जनता महाविद्यालय के प्राचार्य की जानकारी मांगी थी। चप्पलें घिसने के बाद तिवारी ने भी अंततः फोन पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह को शिकायत भेजी। राहुल सिंह ने भोपाल में सुनवाई की तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। सरकारी अधिकारियों ने तिवारी के हस्ताक्षर वाला एक नोट आयोग के सामने पेश किया, जिसमें आवेदक ने खुद जानकारी की जरूरत नहीं होने से जानकारी लेने से मना करना बताया।
फर्जीवाड़ा उजागर
मामले की जांच में फर्जी हस्ताक्षर से लेख लिखना प्रमाणित होने पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा के एसपी आबिद खान को जांच का जिम्मा सौंप दिया, साथ ही सूचना आयोग ने महाविद्यालय के प्राचार्य को 15 दिन में जानकारी देने को भी कहा। आयोग के आदेश के बाद भी जब समय सीमा में जानकारी नहीं मिली, तो आवेदक ने सीधे सूचना आयुक्त से फोन पर सम्पर्क किया और ईमेल कर के अपनी शिकायत दर्ज़ कराई। सूचना आयुक्त ने भी इस मामले में तुरंत करवाई करते हुए अपील की सुनवाई फोन पर कर डाली और फ़ोन पर हुई आदेश जारी करने की कार्रवाई का वीडियो ट्वीटर के माध्यम से सार्वजनिक कर दिया। साथ ही सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा के क्षेत्रीय संचालक उच्च शिक्षा विभाग सत्येन्द्र शर्मा को फ़ोन पर तत्काल आदेश जारी करने का निर्देश देते हुए आदेश का पालन प्रतिवेदन वाट्सअप के माध्यम से भेजने को कहा। एक घंटे के अंदर आदेश की कॉपी वाट्सअप पर आते ही उसे सूचना आयुक्त ने ट्विटर पर डालकर सार्वजनिक भी किया।
वाट्सअप से सुलझा छात्र का मामला
एक और मामले में रीवा के रामावतार नाम के एक छात्र ने अपनी मार्कशीट के लिए RTI की अर्जी लगाई थी। जानकारी नहीं मिलने पर उसने आयोग में अपील दायर की। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में आदेश को वाट्सअप के जरिए आवेदक को दिया और उसका प्रिंटआउट ले कर अधिकारियों से मिलने को कहा और साथ ही अधिकारियों को फोन पर जानकारी देने को कहा। 15 दिन में जब तक आयोग के आदेश की सरकारी डाक पहुँचती उससे पहले छात्र को उसकी मार्कशीट मिल गई थी।
Information Commissioner MP
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Updated on:
26 Nov 2019 06:01 pm
Published on:
26 Nov 2019 05:55 pm
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