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तीसरी लहर में इन अंगों पर पड़ रहा सबसे बुरा प्रभाव, वेंटिलेटर से बचा रहे जान

इस लहर में शरीर के कुछ खास अंग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.

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भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर के कुछ कम होने के संकेत मिले हैं। प्रदेश में पिछले 24 घंटे में मिलनेवाले कोरोना के नए मरीजों की संख्या में खासी कमी आई है. हालांकि यह तथ्य भी सामने आया है कि इस लहर में शरीर के कुछ खास अंग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. आक्सीजन और वेंटिलेटर का उपयोग भी बढ़ चुका है.

प्रदेश में कोहराम मचाती कोरोना की तीसरी लहर के प्रकोप के बीच कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जिससे कुछ राहत मिल सकती है. पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 9532 नए मामले सामने आए हैं. बीते कुछ दिनों से नए मरीजों की संख्या 10 हजार से कम पर बनी हुई है.

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पिछले एक सप्ताह का औसत मरीजों का आंकड़ा 8627 ही आ रहा है जोकि सुखद समाचार है. एक और बात सामने आई है कि प्रदेश में ओमिक्रॉन की रफ्तार और संक्रमण दर को देखते हुए 30 जनवरी को पीक पर रहने के संकेत हैं.

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IIT कानपुर के एक प्रोफेसर ने भी दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर का पीक राजधानी भोपाल में 2 दिन में आ सकता है. तीसरी लहर में कुछ बुरे तथ्य भी सामने आए हैं.

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ये ट्रेंड भी सामने आया है कि इस बार बिना लक्षण के भी लोगों को कोरोना का संक्रमण हो रहा है जोकि बेहद खतरनाक है. इधर पहले की तरह संक्रमण के कारण मरीजों की किडनी प्रभावित हो रही है.

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श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता मालपानी के मुताबिक दूसरी लहर की तरह इस लहर में भी अब फेफड़े ज्यादा प्रभावित होने लगे हैं. ऑर्गन फेलियर के चलते लोगों की मृत्यु हो रही है.

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हालांकि 95 प्रतिशत मरीज अभी भी घर पर ही हैं पर अस्पताल में भर्ती मरीजों की दिक्कत भी बढ़ रही है. अनेक मरीजों की जान बचाने के लिए उन्हें वेंटिलेटर और वाईपैप पर रखना पड़ रहा है। इसी तरह आक्सीजन की जरूरत तेजी से बढ़ रही है. महज 7 दिन पहले हर आठवें मरीज को आक्सीजन की जरूरत लग रही थी लेकिन अब हर तीसरे मरीज को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा जा रहा है.

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यह तथ्य भी सामने आया है कि तीसरी लहर में वेक्सीन लगवाने में लापरवाही बरतने वालों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. एक्सपर्ट शुरु से ही वेक्सीनेशन पर जोर देते आए हैं पर इसके बाद भी कई लोगों ने पूरा डोज नहीं लिया.

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डाक्टर्स बताते हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई, उनपर वायरस तेजी से असर कर रहा है. ऐसे लोगों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ रही है.

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