दरअसल ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आध्यात्मिक क्षेत्र के वनों में पेड़ों की कटाई और पहाड़ की खुदाई का विरोध शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि तीर्थनगरी को पिकनिक क्षेत्र ना बनाया जाए, ओंकारेश्वर में आध्यात्मिक क्षेत्र के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ मंजूर नहीं है।
आध्यात्मिक क्षेत्रों के विकास का स्वरूप भौतिकता से मुक्त रखा जाए, ताकि तीर्थाटन के लिए आने वालों को त्याग का भाव पैदा हो। अब निर्माण कार्यों के विरोध में राजधानी भोपाल में जनजागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में भारत हित रक्षा अभियान नामक संगठन 7 जून को भोपाल के रोशनपुरा पर धरना देगा।
अभियान चलाने वाले अभय जैन व उनके साथियों का कहना है कि कई तरह के प्रयास करेंगे। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे व आम लोगों से लिखवाएंगे। हस्ताक्षर अभियान चलाकर सरकार को ज्ञापन के साथ सौंपेंगे।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर पर्वत पर ओंकारेश्वर महादेव विराजित हैं। इस क्षेत्र में 68 तीर्थ हैं। हर साल यहां लाखों भक्त दर्शन को पहुंचते हैं।
भक्तों की मांग: इन बिंदुओं पर ध्यान दे सरकार
ऊंकार पर्वत पर तोड़-फोड़ तुरंत रोकी जाए। पर्वत पर वन क्षेत्र समेत अन्य में पेड़-पौधों की कटाई बंद हो।
नर्मदा नदी वर्षभर अविरल रहे यानी पानी बहता रहे, इसके लिए प्रयास हों।
पैदल और जल परिक्रमा पथ से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो।
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा, संग्रहालय का निर्माण आध्यात्मिक क्षेत्र से किसी अन्य जगह हो।
पर्वत पर स्थापित हो रही प्रतिमा
बता दें, सरकार 2500 करोड़ रुपए खर्च करके पर्वत की चोटी पर आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करवा रही है। संग्रहालय व अद्वैत वेदांत संस्थान भी बनेगा। अंतरराष्ट्रीय वेदांतपीठ के लिए जमीन के प्रस्ताव पर वन मंत्रालय ने मुहर लगा दी है। यह प्रस्ताव करीब पांच महीने पहले भेजा गया था।