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विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी और एप की लॉन्चिंग थोड़ी देर में, सीएम देंगे सौगात

World First Vaidik Clock: सीएम हाउस के मुख्य दरवाजे पर लगी है दुनिया की पहली वैदिक घड़ी, सूरज के साथ-साथ चलेगा समय, सीएम थोड़ी देर में देंगे सौगात, युवाओं से करेंगे संवाद, रेली भी निकलेगी

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World First Vaidik Clock launcing shortly by cm mohan yadav

World First Vaidik Clock launcing shortly by cm mohan yadav (Photo: Social MEdia)

World First Vaidik Clock: मुख्यमंत्री निवास के मुख्य प्रवेश द्वार पर आज सोमवार 1 सितंबर से वैदिक घड़ी दिखाई देगी। यह वैदिक आधार पर समय, हवा की गति और तापमान बताएगी। सीएम डॉ. मोहन यादव इसका सुबह 11 बजे अनावरण करेंगे। इसे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी नाम दिया है। इसी नाम से विकसित ऐप का भी लोकार्पण किया जाएगा।

महाभारत से लेकर 7000 से ज्यादा वर्षों का पंचाग

ऐप में 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म), महाभारतकाल से लेकर 7000 से अधिक वर्षों के पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत एवं त्योहार से जुड़ी जानकारियां हैं। इसमें धार्मिक कार्यों, व्रत और साधना के लिए 30 शुभाशुभ मुहूतों की जानकारी एवं अलार्म की सुविधा भी है।

प्रचलित समय में वैदिक समय (30 घंटे), वर्तमान मुहुर्त स्थान, जीएमटी और आइएसटी समय, तापमान, हवा की गति, आर्द्रता व मौसम संबंधी सूचना भी उपलब्ध कराई जाएंगी। ऐप में ये सभी सूचनाएं 189 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध होंगी। सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना तथा उसी आधार पर हर दिन के 30 मुहूर्तों का विवरण समिलित होगा।

युवा रैली और संवाद

शौर्य स्मारक पर छात्र-छात्राएं एकत्रित होंगे। बाइक, बस रैली श्यामला हिल्स थाने तक जाएगी। यहां से रैली पैदल मार्च में बदलकर सीएम हाउस पहुंचेगी। इस मौके पर मुयमंत्री युवाओं से संवाद करेंगे।

आरोह ने बनाई है विश्व की पहली वैदिक घड़ी

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को तैयार करने का श्रेय जाता है आरोह श्रीवास्तव को। तीन साल के शोध के बाद उन्होंने ये घड़ी बनाई है। आरोह के मुताबिक, मर्चेंट नेवी की पढ़ाई के दौरान वे यूके गए थे। ग्रीनिच म्युजियम में उन्होंने देखा कि 1884 में इंग्लैंड ने 19 देशों को बुलाया और ग्रीनिच को दुनिया का सेंट्रल प्वॉइंट घोषित करा लिया। जबकि इससे पहले यह फ्रांस में था, क्योंकि तब फ्रांस पावरफुल था। ग्रीनिच देखने के बाद उन्होंने इस दिशा में सोचना शुरू किया कि जिसने कालगणना और खगोल विज्ञान की सबसे पुरानी और सटीक प्रणाली दी, तब भी भारत का अपना वैश्विक समय क्यों नहीं? 2013 में उन्होंने रिसर्च शुरू की और 2020 में फॉर्मूला तैयार कर लिया।

भारत के हर शहर का अपना-अपना वैदिक समय भी जान सकेंगे

आरोह के मुताबिक यह केवल घड़ी नहीं बल्कि भारत की प्राचीन समय गणना पद्धति का पुनर्स्थापन है। अब हर शहर का अपना अलग-अलग वैदिक समय होगा जिसकी सटीक गणना इस घड़ी से संभव होगी।

वैदिक घड़ी की रिसर्च टीम

दुनिया की पहली वैदिक घड़ी को बनाने में आरोह की रिसर्च टीम में आईआईटी दिल्ली के विशाल सिंह और रोबोटिक्स इंजीनियर आरुणि श्रीवास्तव शामिल थीं।

मध्यप्रदेश के लिए वैदिक घड़ी क्यों हो चली है विशेष

सदियों से उज्जैन कालगणना का वैश्विक केंद्र रहा है। कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। इसे भारतीय समय की धूरी यानी प्राइम मेरिडियन ऑफ इंडिया माना गया है। उज्जैन को ही भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान का प्राचीन विश्वविद्यालय कहा जाता है।

जरूर पढ़ें ये रोचक फैक्ट्स

-वैदिक घड़़ी एप में 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण जन्मकाल) और महाभारत काल से लेकर 7000 से भी ज्यादा वर्षों का पंचांग उपलब्ध

--- यह एप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है और सूर्योदय-सूर्यास्त पर आधारित दैनिक गणना देगा।

-- तिथि, नक्षत्र, योग, करण, व्रत और त्योहार की जानकारी भी डिटेल में।

-- प्रचलित समय के साथ वैदिक समय(30 घंटे), जीएमटी, आईएसटी और मौसम संबंधी अपडेट(तापमान, हवा, आर्द्रता), एक ही एप पर सारी जानकारी मिलेगी।

-- धार्मिक कार्यों और साधना के लिए 30 प्रकार के शुभ-अशुभ मुहूर्त और अलार्म सुविधा भी दी गई है।