
भुवनेश्वर: Coronavirus (Covid-19) ने देश को हर तरीके से प्रभावित किया है। इंंसान के जीवन के साथ-साथ उसके पूजा पाठ करने का तरीका भी बदल गया है। वो सामूहिक रूप से आयोजन जैसे सपने सी बात लगती है। आशा है कि सब सामान्य हो जाए। लेकिन इसी बीच पड़ने वाली विशेष तिथियों पर होने वाले बड़े धार्मिक आयोजन अब बिना भक्तों की उपस्थिति में किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ की सभी रीति नीतियों को प्रतिकात्मक रूप से संपन्न किया गया। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु उपस्थिति नहीं रहा।
स्नान पूर्णिमा के साथ ही मानो जगन्नाथ महाप्रभु के रथ यात्रा उत्सव का आगाज हो जाता है। यह पर्व बड़ी ही सादगी से मनाया गया। हर बार की तरह महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा श्रीजगन्नाथ मंदिर के सामने ग्रांड रोड जिसे बड़दंड में विराजमान हुए। यहां 108-108 गड़ुवा से सभी का स्नान कराया गया। फिर वस्त्र पहनकर हाथीवेश में उन्होंने दर्शन दिए। लेकिन इस बार सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाने हेतु किसी श्रद्धालुओं को एकत्रित होने की अनुमति नहीं दी गई। मंदिर से लेकर पुरी नगर निगम तक धारा 144 लागू रही। आयोजन में भाग लेने वाले सेवायतों का भी कोरोना टेस्ट किया गया था। इस वर्ष इस आयोजन पर पांच से छह लाख लोग उपस्थिति रहते है। जबकि इस बार केवल रीति नीति संपन्न कराने के लिए श्री मंदिर के पुजारी और अन्य अधिकारी उपस्थिति रहे। श्रद्धालुओं को इस आयोजन को देखने के लिए टीवी और सोशल मीडिया पर इस आयोजन का लाइव प्रसारण जरूर किया गया।
14 दिन तक रहेंगे क्वारंटाइन...
मान्यता है कि स्नान पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद महाप्रभु जगन्नाथ, देवी सुभद्रा, बलभद्र को बुखार हो जाता है। इसके बाद एहतियात के तौर पर तीनों ही 14 दिन क्वारंटाइन हो जाते हैं या यूं कहे कि एकांतवास में चले जाते हैं। तीनों विग्रह को पुन: मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। और मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है। इस दौरान उनका विधिपूर्वक इलाज किया जाता है। वैद्य आकर काढ़ा देता हैं। इस तरह प्रभु पूरे 14 दिन यानि 19 जून तक यूं ही एकांतवास में रहेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए महाप्रभु की सेवा के 36 नियोग के न्यूनतम सेवायतों को सेवा के लिए रखा गया है। इस दौरान प्रभु की रीति नीति जारी रहेगी। कोरोना काल में बीमार व्यक्ति को अलग रखने की बात भले ही की जा रही हो लेकिन महाप्रभु जगन्नाथ सदियों से बीमार होने पर सभी के कल्याण के लिए उनसे अलग होने का संदेश देते आ रहे हैं।
रथ निर्माण है जारी...
इधर जगन्नाथ प्रभु की रथ यात्रा के लिए रथ का निर्माण भी सरकार की गाइडलाइन की पालना करते हुए जारी है। लेकिन फिलहाल यह यात्रा किस तरह से निकाली जाएगी, होगी भी या नहीं इस पर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है। जल्द ही स्थिति साफ होने की आशा है।
Published on:
05 Jun 2020 04:34 pm
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