दलित परिवार का पानी बंद करने की खबर छापने पर यूपी पुलिस ने पत्रकारों पर किया मुकदमा दर्ज
- पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा
- अभिव्यक्ति की आजादी को बचाने के लिए लंबी लड़ाई का ऐलान
- पत्रकारों ने 8 सदस्यीय समिति का गठनकर आंदोलन का लिया निर्णय
बिजनौर. यूपी पुलिस और प्रशासन पत्रकारों पर ज्यादती की कोई भी कोरकसर छोड़ने की मूड में नजर नहीं आ रहा है। सत्ता और प्रशासन के खिलाफ खबरों पर एक्शन लेने के बजाय और पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्जकर प्रताड़ित करने का काम शुरू कर दिया है। ताजा मामला बिजनौर दिले का है। यहां मंडावर इलाके में एक दलित परिवार को कुछ असमाजाजिक तत्वों की ओर से नल से पानी नहीं भरने देने की धमकी के बाद पीड़ित के पलायन की खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। इस शबर से गुस्साए पुलिस-प्रशासन ने दो नामजद सहित पांच पत्रकारों के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया है। पुलिस की इस दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में जिले के सभी पत्रकार लामबंद होकर एक मंच पर आ गए हैं। इसके साथ ही 8 सदस्यीय समिति का गठनकर आंदोलन का निर्णय लिया है।
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मंडावर इलाके के गांव बसी में दबंगों ने एक बाल्मीकि परिवार को सरकारी नल से पानी भरने से रोक दिया था। इस मामले की शिकायत पीड़ित परिवार ने पुलिस से की, लेकिन पुलिस ने मामले में 3 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की। लेकिन दबंगों का उत्पीड़न बराबर जारी रहा। इससे परेशान होकर पीड़ितों ने अपने मकान पर बिकाऊ लिखकर पलायन की चेतावनी दी। मामले की सूचना जब पत्रकारों को लगी तो उन्होंने समाचार पत्रों में खबर का प्रकाशन किया।
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पुलिस ने समाचार पत्रों में खबर छपने पर इसको पुलिस की छवि पर नकारात्मक प्रभाव मानते हुए दो नामजद सहित पांच पत्रकारों के विरुद्ध संगीत धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। मामला दर्ज होने पर जिले के पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। पुलिस की कार्रवाई के विरोध में पत्रकार एजाज अली हॉल में एकत्र हुए और प्रशासन की इस कार्रवाई को प्रेस की आजादी पर हमला मानते हुए अभिव्यक्ति की आजादी को बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई का बिगुल बजा दिया है। पत्रकारों ने प्रशासन के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष करने के लिए 8 सदस्य समिति का भी गठन किया है, जो इस प्रकार के मामले से निबटने के लिए चरणबद्ध आंदोलन चलाएगी। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के बाद बिजनौर में पुलिस प्रशासन ने पत्रकारों के विरुद्ध इस तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की है ।
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