5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

युवक ने खुद की पैरवी, हाईकोर्ट ने दिया FIR व कार्रवाई निरस्त करने का आदेश, कहा – पुलिस की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण…

Bilaspur High Court: पुलिस द्वारा झूठे मामले में फंसा कर एफआईआर दर्ज करने के मामले में युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्वयं पैरवी की।

less than 1 minute read
Google source verification
हाईकोर्ट (photo Patrika)

हाईकोर्ट (photo Patrika)

Bilaspur High Court: पुलिस द्वारा झूठे मामले में फंसा कर एफआईआर दर्ज करने के मामले में युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्वयं पैरवी की। पैरवी से चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा भी प्रभावित हुए। उन्होंने दोनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए एफआईआर और कार्रवाई निरस्त करने का आदेश दिया।

डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग होगा। अभय सिंह राठौर ने पुलिस थाना तारबाहर, बिलासपुर में एफआईआर दर्ज कराई, थी, जिसमें आरोप लगाया कि मई-जून 2022 के दौरान, क्षितिज समेत कई व्यक्तियों ने बैंक कर्मचारी जय दुबे के साथ मिलकर बैंक खाते खोले।

महादेव सट्टा ऐप चलाने के उद्देश्य से एक जाली कंपनी बनाई। इस पर आईपीसी की धारा 420 और 34 तथा जुआ अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत पुलिस ने अपराध दर्ज किया। क्षितिज भारद्वाज के कथन के आधार पर याचिकाकर्ता पीयूष गंगवानी का नाम बाद में सह-अभियुक्त के रूप में जोड़ दिया।

जाली दस्तावेजों के आधार पर फंसाने का आरोप कोर्ट ने सही पाया

पीयूष गंगवानी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में दो अलग- अलग क्रिमिनल मिस्लेनियस पिटीशन दायर की। याचिकाकर्ता ने डीबी में खुद पैरवी करते हुए तर्क दिया कि पुलिस अधिकारियों और निजी प्रतिवादी डी. भास्कर राव की मिलीभगत से तैयार जाली दस्तावेज़ों, जाली हस्ताक्षरों और हेरफेर किए गए रिकॉर्ड के आधार पर उसे झूठा और दुर्भावनापूर्ण तरीके से फंसाया गया है। उसके डिवाइस का इस्तेमाल नहीं हुआ।

डीबी ने अपने आदेश में कहा कि, साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी के तहत प्रस्तुत साइबर सेल की रिपोर्ट यह स्थापित करती है कि याचिकाकर्ता के डिवाइस का इस्तेमाल कथित फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट को संचालित करने के लिए नहीं किया गया। इसलिए प्रथमदृष्ट्या दुर्भावनापूर्ण आरोप है।