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नियम की आड़ में मनमानी! बिलासपुर में डायवर्टेड जमीन की भी रजिस्ट्री पर रोक, जरूरतमंद और वेंडर भी परेशान…

CG Registry News: बिलासपुर जिले में अवैध प्लॉटिंग और खेती की 5 डिसमिल से कम जमीन रजिस्ट्री न करने के नियम का जिले में दुरुपयोग हो रहा है।

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जमीन फर्जीवाड़े .(photo-patrika)

जमीन फर्जीवाड़े .(photo-patrika)

CG Registry News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अवैध प्लॉटिंग और खेती की 5 डिसमिल से कम जमीन रजिस्ट्री न करने के नियम का जिले में दुरुपयोग हो रहा है। सामान्य और डायवर्टेड प्लॉट की भी रजिस्ट्री भी रोकी जा रही है। इससे आम जनता परेशान हो रही है, वहीं रजिस्ट्री कम होने से शासन को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।

CG Registry News: नियम की आड़ में मनमानी

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में अब 5 डिसमिल से कम क्षेत्रफल की कृषि भूमि की रजिस्ट्री नहीं होगी। राज्य सरकार ने जमीन खरीद-बिक्री के नए नियम तय कर खेती की जमीन की खरीद- बिक्री पर रोक लगा दी है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

हालांकि यह नया नियम शहरों में लागू नहीं होगा। शहरी क्षेत्रों में डायवर्टेड भूमि जो व्यावसायिक और आवासीय उपयोग के लिए है, उसकी रजिस्ट्री पहले की तरह होती रहेगी। लेकिन बिलासपुर में 5 डिसमिल से कम डायवर्टेड प्लॉट की भी रजिस्ट्री नहीं की जा रही है।

अन्य जिलों में डायवर्टेड प्लॉट की रजिस्ट्री में कोई अड़ंगा नहीं

यह भी महत्वपूर्ण है कि जमीन रजिस्ट्री में यह मनमानी सिर्फ बिलासपुर जिले में है। अन्य जिलों में सरकारी नियम के अनुसार डायवर्टेड प्लॉट की रजिस्ट्री हो रही है। यहां डायवर्सन पेपर में राजस्व विभाग सील भी लगा रहा है कि जमीन की टुकड़े में रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। जबकि राज्य शासन द्वारा किए गए नियम संशोधन के अनुसार 5 डिसमिल से कम आकार की सिर्फ कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर ही रोक है।

अधिकारियों के यह तर्क

कलेक्टर संजय अग्रवाल का कहना है कि अवैध प्लॉटिंग की रजिस्ट्री पर ही रोक है। हालांकि वे पहले से तय रिहायशी इलाकों में लिए गए 5 डिसमिल से कम डायवर्टेड प्लॉट की भी रजिस्ट्री न होने के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए। जिला पंजीयक राजीव स्वर्णकार का कहना है कि डायवर्टेड वैध जमीन की 5 डिसमिल से कम रजिस्ट्री पर रोक नहीं है।

अवैध प्लॉटिंग: तर्क की आड़ में खास लोगों को लाभ

शहर के कुछ हिस्सों में अवैध प्लाटिंग के मामले सामने आए, लेकिन ये कई एकड़ में हुई थी। कुछ जगह सरकारी जमीन पर भी कब्जा सामने आया, लेकिन ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जगह प्रशासन छोटे प्लॉट वालों को परेशान करने में जुटा है। जबकि नियम में स्पष्ट उल्लेख है कि डायवर्टेड प्लॉट को टुकड़े में बेचा जा सकता है, लेकिन यहां उल्लंघन किया जा रहा है। इसके पीछे कुछ बड़े बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने की मंशा भी सामने आ रही है।

आदेश की आड़ में मनमर्जी, विरोध करने पर मिली चेतावनी

जमीन संबंधी विधेयक पारित होने के बाद इसकी आड़ में मनमानी की शिकायत भी सामने आ रही है। रजिस्ट्री कार्यालय के वेंडरों से मिली जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र की 5 डिसमिल से कम डायवर्टेड जमीन की भी रजिस्ट्री पर रोक लगने से उनके पास भी बहुत कम काम आ रहा है। कलेक्टर से इसकी शिकायत करने पर समस्या के समाधान की जगह उनको चेतावनी दे दी गई कि दोबारा शिकायत करेंगे तो लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।

जमीन कम या ज्यादा, सभी के लिए एक से नियम बना दिए स्थानीय प्रशासन ने

बिल्डर्स के लिए तय नियमों के अनुसार जमीन का ले आउट पास होने के साथ मूलभूत सुविधाएं सड़क, नाली, बिजली पानी होना चाहिए। साथ ही रेरा अप्रूव्ड होने की शर्त भी प्लॉटिंग के लिए अनिवार्य की गई है। कुछ बिल्डर्स इस नियम के अनुसार प्लॉटिंग कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग सड़क नाली बिजली पानी की सुविधा के साथ लेआउट पास कराकर प्लॉट बेच रहे हैं।

कई लोगों के पास बरसों पहले लिए गए 10-20 डिसमिल प्लॉट हैं, जो उसमें से कुछ हिस्सा अपनी जरूरत के अनुसार बेच देते हैं। लेकिन नए नियम के बाद प्रशासन हर तरह के प्लॉट की खरीद बिक्री पर अड़ंगा लगा रहा है। जबकि पुरानी बसाहट हो या कॉलोनी क्षेत्र, छोटे प्लॉट सुविधायुक्त जगह पर ही हैं।