5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सिविल जज परीक्षा के लिए बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, याचिकाएं खारिज

Civil Judge Exam: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा-2024 के अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

less than 1 minute read
Google source verification
CG High court: सेंट्रल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती पर विवाद, हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय से मांगा स्पष्टीकरण...(photo-patrika)

CG High court: सेंट्रल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती पर विवाद, हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय से मांगा स्पष्टीकरण...(photo-patrika)

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा-2024 के अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। ये अभ्यर्थी बार काउंसिल में वकील के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं हैं। कोर्ट ने कठोर टिप्पणी की कि- ये याचिकाएं अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग हैं। ये गलत धारणाओं और गलत व्याख्या के आधार पर दायर की गईं हैं और न्यायिक सेवा में पिछले दरवाजे से प्रवेश पाने के प्रयास पर आधारित हैं, जो कानून में अस्वीकार्य है।

याचिकाकर्ताओं में लोक अभियोजक और सहायक लोक अभियोजक भी शामिल थे, जो परीक्षा के विज्ञापन की तिथि पर बार काउंसिल में एडवोकेट के रूप में नामांकित नहीं है। इन अभ्यर्थियों ने उनको परीक्षा में शामिल न करने और एडमिट कार्ड न दिए जाने को चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के उल्लंघन का निराधार तर्क दिया गया। सरकारी नौकरी के लिए योग्यता निर्धारित करने वाले किसी विधायी प्रावधान को केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि उम्मीदवारों का एक समूह इससे व्यथित है। याचिकाकर्ता मनमानी या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन साबित करने में विफल रहे।

यह है मामला

सरकारी अभियोजक व सहायक सरकारी अभियोजक के रूप में सरकारी पदों पर कार्यरत आवेदकों ने याचिका में कहा था कि सिविल जज परीक्षा में निजी प्रैक्टिस करने वाले वकीलों और सरकारी अभियोजकों के बीच अनुचित रूप से अंतर किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के विरुद्ध है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि लोक अभियोजक, विधि अधिकारी के रूप में उनकी सेवा उच्चतर न्यायिक सेवा में भर्ती के लिए पात्रता में गिनी जाती है, जो सीधे बार से की जाती है। जबकि जिला जज के संवर्ग में नियुक्ति के लिए पात्र माना जाता है।