Cyber Fraud News: शहर में एक शातिर ठग ने पिछले करीब एक माह में चार दुकान संचालकों से हजारों रुपए का सामान लेकर भुगतान का फर्जी स्क्रीन शॉट दिखाकर फरार हो गया। मामले में सरकंडा थाने में शनिवार को पीड़ितों ने सीसीटीवी फुटेज के साथ शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने अपराध दर्ज कर स्वयं जांच के साथ इस मामले को साइबर सेल को भी सौंप दिया है।
पीड़ित दुकानदारों में ओम प्रोविजन एंड डेली नीड्स के संचालक संतराम साहू, ओम मेडिकल स्टोर के केशव प्रसाद साहू, छत्तीसगढ़ फार्मेसी के चंद्रकांत साहू और जय चंडी मेडिकल स्टोर के संचालक लबोदर प्रसाद साहू शामिल हैं। राधाविहार मोपका निवासी चंद्रकांत साह ने बताया कि उनकी फार्मेसी है। 4 जुलाई को रात 08.54 बजे एक व्यक्ति दवाएं खरीदने आया व मोबाइल ऐप से 1700 रुपए का भुगतान का स्क्रीन शॉट दिखाकर चलता बना। रात में जब बैंक स्टेटमेंट देखा तो भुगतान नहीं हुआ था। इसी तरह एक अन्य मेडिकल स्टोर संचालक लंबोदर साहू ने भी ऐसी ही शिकायत दर्ज कराई है।
साइबर अपराधी आमतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो डिजिटल पेमेंट का कम अनुभव रखते है। फेक ऐप असली जैसे ही होते हैं। इनमें अंतर कर पाना बेहद मुश्किल होता है। यह पैसे को सक्सेसफुली ट्रांसफर दिखा देते हैं, लेकिन असल में पैसा ट्रांसफर नहीं होता है। इसके लिए जागरुकता बहुत जरूरी है। जब तक अपने बैंक खाते में पैसा नहीं आ जाए, तब तक उसे सही नहीं मानें।
राधा विहार मोपका निवासी संतराम साहू ने बताया कि 9 जून की शाम करीब 7. 50 बजे एक व्यक्ति ने किराना सामान की खरीदी की। भुगतान के नाम पर उसने अपने मोबाइल में १६३९ रु. पेमेंट रसीद दिखाकर चला गया। कुछ देर बाद में बैंक खाते की जांच की तो भुगतान नहीं हुआ था। पता चला कि और दुकानदारों के साथ भी ऐसा हुआ है ।
बहतराई निवासी मेडिकल स्टोर संचालक केशव प्रसाद साहू ने बताया कि 15 जून को रात्रि 9.19 बजे एक व्यक्ति दुकान में आया, कुछ दवाएं खरीदीं और मोबाइल पर 555 रुपए भुगतान रसीद दिखाकर चला गया। बाद में जांच करने पर यह पता चला कि वह पूरी तरह से फर्जी ट्रांजैक्शन था। उनके खाते में कोई भुगतान नहीं हुआ।
उक्त सभी मामलों में पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी की पहचान व लोकेशन को लेकर सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।
Cyber Fraud News: जिला फार्मेसिस्ट संघ व व्यापारी संघों का कहना है कि ठगी का मामला केवल इन चार दुकानों तक सीमित नहीं है। पूरे जिले में सैकड़ों छोटे दुकानदार इस तरह के साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं। शर्मिंदगी, तकनीकी जानकारी का अभाव और पुलिस झंझट के डर से कई व्यापारी सामने नहीं आते। इसलिए जागरूकता अभियान चलाया जाए, जिसमें दुकानदारों को नकली ऐप से होने वाली ठगी के प्रति सतर्क किया जाए। प्रशासन दुकानदारों को तकनीकी प्रशिक्षण दे, जिससे वे नकली और असली स्क्रीन शॉट में फर्क कर सकें।
Published on:
06 Jul 2025 02:51 pm