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आवारा मवेशियों पर हाईकोर्ट की नाराजगी, कहा- अब तक क्या किया बताएं, प्रशासन समेत इनको जारी हुआ ये निर्देश

Bilaspur News: प्रदेश की सड़कों पर आवारा मवेशियों के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीर मसला माना है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रदेश के ज्यादातर शहरों में जाने पर सड़कों पर मवेशियों का जमाव दिखता है।

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Displeasure of the High Court, sought answers on stray cattle

हाईकोर्ट की नाराजगी, आवारा मवेशियों पर मंगा जवाब

Chhattisgarh News: बिलासपुर। प्रदेश की सड़कों पर आवारा मवेशियों के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीर मसला माना है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रदेश के ज्यादातर शहरों में जाने पर सड़कों पर मवेशियों का जमाव दिखता है। बिलासपुर की सड़कों पर घूमकर देखा तो स्थिति खराब मिली है। कोर्ट ने नेशनल हाईवे, निगम और प्रशासन से जवाब मांगा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर अभी तक क्या किया है और आगे क्या सुझाव है। इसकी पूरी जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा गया है। हाईकोर्ट ने प्रकरण की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है।

सड़क सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्ग में घूमने वाले आवारा मवेशियों को नहीं हटाने से हो रहे सड़क हादसों समेत अन्य बिन्दुओं पर संजय रजक और राजेश चिकारा ने वकील अमित सोनी, पलाश तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग समेत पंचायत एवं ग्रामीण विभाग विभाग को नोटिस जारी करते हुए विगम एक वर्ष में सड़क से हटाए गए आवारा पशुओं की जानकारी मांगी थी। सोमवार को एनएच और प्रशासन ने कार्रवाई की जानकारी दी तो कोर्ट ने कहा कागजी कार्रवाई के बजाय फील्ड में क्या किया यह बताएं।

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पहले भी दिशा-निर्देश दिए थे कोर्ट ने

CG High Court: इससे पहले भी इसी तरह के एक मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर नजर आने वाले आवारा मवेशी बेहतर ढंग से संचालित किए जा रहे गौशालाओं में ही रखें जाएं। इसके साथ ही मवेशी मालिकों पर की गई कार्रवाई, शहरी गौठानों की संख्या, कांजी हाउस की संख्या, काउ केचरों की संख्या, कार्यरत कर्मचारियों की संख्या, निकाय सीमा क्षेत्र में डेयरियों की संख्या, एक कांजी हाउस और गौठान में एक वर्ष में आने वाले खर्च, रेडियम पट्टी पहनाए गए मवेशियों की संख्या की जानकारी मांगी थी।

हाईकोर्ट के नोटिस के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगरीय निकायों से जानकारी मांगी थी। इसके बाद अधिकारियों ने माहवार आंकडे दिखाने के लिए (cg hindi news) मवेशियों की धरपकड़ भी की थी। हालांकि यह सब कुछ दिन चला और मामला जस का तस हो गया।

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नागरिक लगातार उठा रहे कोर्ट में मुद्दा

एक्स डिफेंस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य ने शहर में सीवेज, सड़कों पर मवेशी समेत अन्य मुद्दों को लेकर 2011 में जनहित याचिका लगाई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा था। इसके बाद नगर निगम ने आवारा मवेशियों को पकड़कर गोकुल नगर में शिफ्ट करने मुहिम तो चलाई, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। आज भी लगभग हर सड़क पर आवारा मवेशियों को भटकते देखा जा सकता है। आमतौर पर ऐसे मवेशी रातों में सड़क हादसों के भी शिकार होते हैं। चिरमिरी में रहने वाले राजकुमार मिश्रा ने भी सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर मवेशियों और उससे आम लोगों को हो रही परेशानियों की तरफ ध्यान दिलाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस तथ्य से सहमति जताई थी कि सड़क मार्ग से बिलासपुर से रायपुर जाने के दौरान सड़कों पर बड़ी संख्या में आवारा मवेशी नजर आते हैं। हर यात्रा के दौरान सड़क पर मरे हुए मवेशी भी दिखते हैं, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

यातायात पुलिस गांवों में जाकर गायों को घर में बांधकर रखने व जगह न होने पर गोठान में रखने लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। हाईवे पट्रोलिंग की टीम भी मवेशियों को सड़क से हटाने में लगी रहती है।

-उमा शंकर पांडेय, जिला सेफ्टी सेल अधिकारी, बिलासपुर

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