
अरपा में मूर्तियां विसर्जित (फोटो सोर्स -Ai)
CG News: बिलासपुर की जीवनरेखा कही जाने वाली अरपा नदी इस बार भी मूर्ति विसर्जन से प्रदूषण का बड़ा बोझ झेलेगी। गणेशोत्सव और दुर्गा उत्सव के मौके पर हजारों मूर्तियां बनाई गई हैं, लेकिन विसर्जन के लिए अब तक स्थायी कुंड नहीं बनाया गया।
नतीजा यह है कि लोग सीधे अरपा के घाटों पर जाकर मूर्तियां डुबोएंगे। इससे नदी का जल दूषित होगा। कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने साफ निर्देश दिए हैं कि नदियों, तालाबों और प्राकृतिक जलस्रोतों में सीधे मूर्तियों का विसर्जन न किया जाए। नगर निगम को हर वार्ड और बड़े तालाबों के पास अस्थायी या स्थायी विसर्जन कुंड बनाने के आदेश दिए गए थे। इसके बावजूद बिलासपुर में न तो स्थायी कुंड बने और न ही वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
पिछले साल भी हाईकोर्ट ने अरपा के बढ़ते प्रदूषण पर गंभीर टिप्पणी की थी और निगम को जल्द ठोस व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके इस बार भी स्थिति जस की तस है। नाले और सीवेज का गंदा पानी तो पहले से ही अरपा में जा रहा है, अब मूर्ति विसर्जन से इसमें और जहर घुलेगा। करोड़ों की योजनाएं और कोर्ट के आदेश केवल कागजों तक ही सीमित हैं। अरपा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नगर निगम ने कई घोषणाएं कीं, लेकिन अब तक धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।
नदी में सीधे मूर्ति विसर्जन होना अरपा के लिए बेहद घातक है। हर साल हजारों मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस और केमिकल रंगों के साथ नदी में डुबो दी जाती हैं। इससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है, ऑक्सीजन लेवल घटने से मछलियां मरती हैं और जलीय पौधों का सड़ना शुरू हो जाता है। यही कारण है कि विसर्जन के बाद कई दिनों तक पानी उपयोग लायक नहीं रहता।
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के स्पष्ट आदेश हैं कि नदी में मूर्तियों का विसर्जन प्रतिबंधित है। प्रशासन को स्थायी विसर्जन कुंड बनाकर सख्ती से पालन कराना चाहिए, तभी अरपा को प्रदूषण से बचाया जा सकता है। - श्याम मोहन दुबे, संयोजक, अरपा अर्पण समिति
विसर्जन के लिए हर साल अस्थायी कुंड बनाया जाता है। स्मार्ट सिटी 2.0 योजना के तहत स्थायी कुंड बनाने का प्रयोजन है। नदी और तालाबों को स्वच्छ रखने के लिए निगम प्रशासन लगातार काम कर रहा है। - अमित कुमार, आयुक्त, नगर निगम, बिलासपुर।
Published on:
01 Sept 2025 12:36 pm
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