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Navratri 2025: सपनों के आदेश से बना 800 साल पुराना नगोई का महामाया मंदिर, दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु… 800 साल से आस्था का केंद्र

Navratri 2025: देवी मंदिरों की स्थापना से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन बिलासपुर जिले के बैमा नगोई गांव में स्थित महामाया मंदिर अपनी विशेष आस्था और ऐतिहासिकता के लिए अलग स्थान रखता है।

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नगोई का महामाया मंदिर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

नगोई का महामाया मंदिर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Navratri 2025: देवी मंदिरों की स्थापना से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन बिलासपुर जिले के बैमा नगोई गांव में स्थित महामाया मंदिर अपनी विशेष आस्था और ऐतिहासिकता के लिए अलग स्थान रखता है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में रतनपुर के राजा ने की थी। मंदिर की स्थापना से जुड़ा प्रसंग इसे और भी खास बना देता है।

12वीं शताब्दी के मिले हैं अवशेष

नगोई गांव न केवल अध्यात्म बल्कि इतिहास की धरोहर भी अपने गर्भ में समेटे हुए है। यहां आज भी मंदिरों, तालाबों और पुराने भग्नावशेषों में 12वीं शताब्दी की छाप दिखाई देती है। प्राचीन काल में नगोई, रतनपुर राज्य की उप राजधानी के रूप में बसाया गया था। तब इसका नाम नवगई रखा गया था, जो समय के साथ परिवर्तित होकर नौगई और फिर वर्तमान में नगोई बन गया। महामाया मंदिर न केवल बिलासपुर जिले बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है।

Navratri 2025: प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मंदिर परिसर

नगोई का महामाया मंदिर केवल अध्यात्म का ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी केंद्र है। मंदिर प्रांगण चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है। बड़े-बड़े पेड़ों की छाया यहां आने वालों को गर्मी में भी ठंडक प्रदान करती है। पास में बने तालाब और उड़ते पक्षी वातावरण को और भी मनमोहक बना देते हैं। भक्त प्राकृतिक छटा और शांति का अनुभव करता है।

देवी को मानते हैं सरस्वती का रूप

मंदिर के मुख्य पुजारी कौशल किशोर ने बताया कि रतनपुर के राजा माता महामाया की प्रतिमा को रथ में रखकर मल्हार से रतनपुर ले जा रहे थे। यात्रा के दौरान जब राजा बैमा नगोई पहुंचे तो वहीं उनके रथ का पहिया टूट गया। रात होने पर राजा ने उसी स्थान पर विश्राम किया। इसी दौरान देवी महामाया ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और आदेश दिया कि उनका मंदिर इसी स्थान पर स्थापित किया जाए। इसके बाद यहीं माता महामाया की प्रतिमा स्थापित कर मंदिर निर्माण कराया गया।

मंदिर समिति के अध्यक्ष परसन सिंह ने बताया कि नगोई की मां महामाया साक्षात मां सरस्वती का ही स्वरूप हैं। इसी वजह से इस क्षेत्र में प्राचीन काल से ही साक्षरता दर अन्य गांवों की तुलना में काफी बेहतर रही है। लोग बताते हैं कि माता की कृपा से यहां के बच्चे शिक्षा और विद्या में हमेशा आगे रहे हैं।

देवी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए दूर-दूर से आने वाले भक्त यहां मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। ग्रामीणों का विश्वास है कि माता महामाया के दरबार में आकर भक्त न केवल अध्यात्मिक शांति का अनुभव करता है बल्कि उसकी हर मनचाही इच्छा भी पूरी होती है।


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