
बिलासपुर . जेनमन पहट, बरदी के रूप मा गउ वंश के सेवा करे लागिन, ऐही वर्ग ला छत्तीसगढ़ मा पहटिया, बरदिहा, ठेठवार, राउत यादव जैसे नाम ले जाने जाने लगिन..., पूजा परय पुजेरी के संगी हे, धोवा चाऊर चढ़ाई हे..., युद्ध पूजा परत हे मोर गोवर्धन के ददा शोभा बरन नहीं जाए...जैसे रावत नाच के पारंपरिक दोहा गाते हुए रावत नाच नर्तक दलों ने अपने कला व शौर्य का प्रदर्शन शनिवार की रातभर लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान परिसर में किया। यदुवंशियों की टोली पारंपरिक वेशभूषा धारण कर अपनी सभ्यता व संस्कृति को संजोए रखने का संदेश दिया। देर रात तक झूम झूमकर यदुवंशियों ने कृष्ण लीलाओं की प्रस्तुति से मन मोह लिया। रावत नाच महोत्सव समिति की ओर से शनिवार को ४०वां रावत नाच महोत्सव का आयोजन लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में किया गया। शौर्य एवं शृंगार के नृत्य की प्रस्तुति देते हुए यदुवंशियों ने दोहा गाते हुए नृत्य करते रहे। रावत नाच महोत्सव समिति के संयोजक डॉ. कालीचरण यादव ने बताया कि कार्यक्रम में प्रदेश भर से यदुवंशियों की टोलियां पहुंची हैं। इनके पैरों की थिरकन व लय के आधार पर बेहतर नृत्य प्रस्तुत करने के आधार पर इनका चयन विजेता के तौर पर किया गया।
मोहरी, गुदरुम, निशान, ढोल, डफड़ा, टिमकी, झुमका, झुनझुना, झांझ, मंजीरा, मादर, मृदंग, नगाड़ा जैसे पारंपरिक वस्त्रों में सजे यदुवंशी नजर आए। गड़वा बाजा व मुरली की धुन लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान परिसर में गूंजती रही।
देर रात तक चलता रहा महोत्सव : रावत नाच महोत्सव शनिवार को देर रात तक चलता रहा। यदुवंशी रावत नाच की सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए देर रात तक झूम-झूम कर नाचते रहे। दोहा के माध्यम से गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाते रहे तो वहीं कुछ टीमों ने दोहा के माध्यम से आशीष दिया।
प्रदेशभर से आईं टोलियां : रावत नाच में कला व शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए प्रदेशभर से 100 से अधिक टोलियों ने हिस्सा लिया। इन टोलियों में 12 से 15 लोग शामिल रहे। बच्चे बड़े सभी टोली में यदुवंशियों के कला व शौर्य का प्रदर्शन करते नजर आए।
झंाकियां रही आकर्षण का केंद्र : रावत नाच नर्तक दलों ने अपने साथ कई झांकी भी कार्यक्रम में प्रदर्शित किया। श्री कृष्ण-राधा के साथ ग्वाले व गोपियां रही। इसी तरह कालिया नाग मर्दन की झांकी रही। रास लीला की झांकी रही।
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संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास : मुख्य अतिथि मंत्री अमर अग्रवाल रहे। उन्होंने कहा कि रावत नाच की परंपरा को इस महोत्सव के माध्यम से बचाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। शुरुआत 40 साल पहले हुई थी आज भी रावत नाच महोत्सव में शामिल होने के लिए सैकड़ों यदुवंशी आए हुए है। आज भी परंपरा व संस्कृति को बनाए रखे है यह बहुत सराहनिय कार्य है। एेसे कार्य हर किसी को करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि भूपेश बघेल ने भी इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए रावत नाचत महोत्सव के भव्य आयोजन के लिए समिति के लोगों को बधाई दी। महापौर किशोर राय ने भी कार्यक्रम की तारीफ की।
मेले सा रहा माहौल : रावत नाच महोत्सव के दौरान लाल बहादुर स्कूल मैदान में मेले सा माहौल रहा। हर कोई रावत नाच में शामिल होकर यदुवंशियों का उत्साह वर्धन किया। परिसर में चारों ओर मेले की तरह चाट-गुपचुप, भेल, समोसा , कचौरी सहित कई तरह से व्यंजनों की दुकान सजी रहीं। जलेबी, मिठाई भी लोगों ने खूब खाई।
Published on:
12 Nov 2017 12:30 pm
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