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गुमनाम रहकर 26/11 के पीड़ित परिवारों की मदद किया करते थे ये दिग्गज एक्टर, ऐसे सामने आया नाम

मुंबई के 26/11 के हमले को आज भी याद कर इंसान गम में चला जाता है. वो एक ऐसा हादसा है जिसको कभी भूलाया नहीं जा सकता, लेकिन इस हमले के बाद काफी लोगों ने अपना बहुत कुछ खोया था. ऐसे में बॉलीवुड के एक दिग्गज कलाकार ने गुमनाम रहकर 26/11 के पीड़ित परिवारों की मदद की थी.

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Vandana Saini

Mar 26, 2022

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गुमनाम रहकर 26/11 के पीड़ित परिवारों की मदद किया करते थे ये दिग्गज एक्टर

वैसे तो मुंबई को सपनों की नगरी कहा जाता है, लेकिन उस नगरी ने भी कई अलग-अलग दौर में कई बड़े-बड़े और दर्दनाक हादसे देखें हैं, जिनको याद कर आज भी रुह कांप जाती है. जैसे 26/11 हमला, जिसको शायद कभी भूलाया नहीं जा सकता. इस दर्दनाक घटना में न जाने कितने लोगों ने अपना क्या-क्या और कौन-कौन खोया था. दुनिया भर उन लोगों के लिए दुआएं आ रही थी. मदद के कई हाथ आगे आए थे, लेकिन इंडस्ट्री की ओर से भी एक हाथ इनमें शामिल था, जिसका कभी नाम पता नहीं चल पाया था किसी को.

आज हम आपको बताते हैं कि वो कौन सा कलाकार था, जिसने गुमनाम रहकर 26/11 के पीड़ित परिवारों की मदद की थी. बॉलीवुड के उस दिग्गद एक्टर का नाम फारुख शेख (Farooq Sheikh) है. उनको कई फिल्मों के लिए याद किया जाता है. उन्होंने इंडस्टी को कई हिट फिल्में दी हैं, जिसमें 'साथ-साथ', 'चश्मे बद्दूर', 'गर्म हवा', 'बाजार' और 'बीवी हो तो ऐसी' जैसी शानदार फिल्में सामिल हैं. इस फिल्मों में उनके किरदारों को काफी पसंद किया और आज भी हमारे बीच जिंदा रखा है.

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ये तब का किस्सा है जो फारुख शेख को केवल बेहतरीन एक्टर ही नहीं बल्कि बेहतरीन इंसान के तौर पर भी स्थापित करता है. फारुख शेख ने आर्थिक तौर पर 26/11 के पीड़ित परिवारों की काफी मदद की. ये कहानी काम्बले परिवार से जुड़ी है. इस परिवार में श्रुति काम्बले ने अपने पति राजन काम्बले को 26/11 हमले में खो दिया था. उनके पति राजन ताज होटल में मेंटेनेंस का काम किया करते थे, जब 26 नवंबर को ताज होटल में हमला हुआ तो राजन ने गेस्ट को बचाने की कोशिश में अपनी जान दे दी थी.

ये खबर जब एक न्यूज पेपर में फारुख शेख ने पढ़ी तो उस अखबार को फोन करके उन्होंने श्रुति और उनके दोनों बच्चों की मदद करने की इच्छा जताई थी. साथ ही उनके सामने शर्त बस इतनी रखी कि किसी को उनकी पहचान ना बताई जाए. बता दें कि साल 2013 में फारुख शेख के निधन के बाद परिवार को उनकी पहचान का पता चला था. काम्बले परिवार आज भी उनको बेहद याद करता है और श्रुति कहती हैं 'मेरे बच्चे शेख साहब की मदद के बिना पढ़ ही नहीं पाते'.

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